रामगढ़ का 350 वर्ष पुराना कैथा शिव मंदिर, मान्यता है कि यहां चढ़ाए जल से ठीक हो जाते हैं कान के रोग

झारखंड के रामगढ़ जिलें में स्थित पुराने शिव मंदिर की मान्यता है कि यहां चढ़ाए गए जल को अपने कानों में डालने पर सभी तरह के रोग ठीक हो जाते है। इसके साथ ही इस मंदिर के तहखाने में काले नाग का निवास है। यह मंदिर 350 साल पुराना बताया जाता है।

रामगढ़ (झारखंड). झारखंड के रामगढ़ जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां के जल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर 350 साल पुराना है। मंदिर में एक साथ दो शिवलिंग की पूजा की जाती है।  कैथा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर गोला रोड के एनएच 23 पर रामगढ़ शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर का निर्माण 1670 इस्वी में किया गया था। 

Latest Videos

मंदिर में चढ़ाए गए जल से ठीक हो जाते हैं कान के रोग
लोगों का मानना है कि कैथा मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद उसके जल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं। आस्था यह भी है कि पुराने से पुराने बहते कान में मंदिर में चढ़ाए जाने वाले जल को डालने से कान का बहना बंद हो जाता है।


 
कैथा नाम क्यों पड़ा
हजारीबाग के राजा दलेर सिंह ने रामगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद ही उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के नीचे गुफा है, जहां कैथेश्वरी मां की शक्ति विद्यमान है। इसी कारण इस शिव मंदिर का नाम कैथा शिव मंदिर पड़ा। 

स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना
सन 1670 में बना यह शिव मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। मंदिर की बनावट मुगल, बंगाली, राजपूत शैलियों का मिश्रण है। मंदिर का निर्माण लखौरी ईंटों को सुर्खी, चूना, दाल के मिश्रण की जुड़ाई से बनाया गया है। दो मंजिलें मंदिर में ऊपर जाने और नीचे उतरने के लिए 2 सीढ़ियां बनी हैं। सीढ़ियों के बगल में बेलनाकार गुंबज है, संभवता इस पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते होंगे। मंदिर के पहले तल्ले पर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के ऊपरी गुंबज के ठीक बीच में बजरंगबली की मूर्ति स्थापित है, जो मंदिर के निर्माण के समय की बताई जाती है।

एक साथ दो शिवलिंग की होती है पूजा
इस मंदिर की एक और खूबी है कि यहां एक साथ दो शिवलिंग की पूजा होती है। माना जाता है कि एक शिवलिंग स्थापना काल से ही मंदिर में मौजूद है और दूसरा बाद में स्थापित किया गया। यहां पूरे सावन मास में जलाभिषेक करने श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। शिवरात्रि के दिन भव्य पूजा तथा जागरण किया जाता है। इस समय यहां दो दिनों का मेला लगता है। 

किंदवती... एक ही रात में बनकर तैयार हुआ था मंदिर
मंदिर के ठीक नीचे एक गुफा मौजूद है। इस गुफा का गुफा का रहस्य कोई नहीं जानता। किदवंती यह भी है कि मंदिर एक ही रात में बन कर तैयार हो गया था। मंदिर के नीचे बने तहखाने (गुफा) का रहस्य आज भी कायम है। कोई भी गुफा के अंदर नही जाता है। कहा जाता है कि उस समय के राजा और रानी पास के तालाब से स्नान कर इसी गुफा के रास्ते मंदिर तक आते थे औऱ पूजा करते थे। लोगों का मानना है कि गुफा में काले नाग का भी निवास है। 

गुफा में काले नाग का निवास
माना जाता है कि मंदिर की गुफा में काला नाग का निवास स्थान है, जो मिट्टी के प्याले में दूध-लावा और बताशा ग्रहण करने आता है। कई बार स्थानीय लोगों ने इसे देखा है। मंदिर के बगल में एक बड़ा तालाब है। इसी तालाब में राजा-रानी स्नान कर सुरंग के रास्ते होते हुए मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते थे। अब यह सुरंग बंद है। फिलहाल इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है।

यह भी पढ़े- बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर साधा निशाना...बोले- राज्य में बांग्लादेशी संगठन सक्रिय, खतरनाक है उनके इरादे

Share this article
click me!

Latest Videos

Nagpur Poha Shop पर पहुंचे Rahul Gandhi, फिर खुद भी किया ट्राई | Maharashtra Election 2024
क्या है धारावी का वो प्रोजेक्ट जिस पर राहुल गांधी के निशाने पर हैं अडानी और बीजेपी । Dharavi Project
बीजेपी की सोच और आदिवासी... राहुल गांधी ने किया बहुत बड़ा दावा #Shorts
Yogi Adityanath: 'लगता है कांग्रेस के अंदर अंग्रेजों का DNA आ गया है' #Shorts
आखिर क्या है GRAP-4? अब दिल्ली में किन-किन चीजों पर रहेंगी पाबंदियां