
रांची : राज्यसभा चुनाव की रणनीति बनाने कांग्रेस (Congress) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) आज स्ट्रैटजी पर चर्चा करेंगी। इस दौरान झारखंड (Jharkhand) के राजनीतिक हालात को देखते हुए अलग से चर्चा की जाएगी। सूबे में राज्यसभा की दो सीटों का फैसला इसी बैठक में होगा। जिस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं। राजनीतिक टकराव न हो, इस लिहाज से बीच का रास्ता निकालने की कोशिश जारी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की चर्चा के बाद कैंडिडेट्स फाइनल किए जाएंगे। जानकारी मिल रही है कि सीएम सोरेन की सोनिया गांधी और राहुल से मुलाकात हो सकती है।
JMM में सब ठीक है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झामुमो में इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे मानते हैं कि नैतिक तौर पर कांग्रेस को राज्यसभा की उम्मीदवारी मिलनी चाहिए लेकिन पार्टी के अंदर ही एक धड़ा खुद का प्रत्याशी उतारने पर जोर दे रहा है। सत्ता में बैठी झामुमो गुटबाजी की घेरे से उलझी हुई है। एक तरफ मुख्यमंत्री और कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभाल जरूर रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग और खनन लीज मामला उनकी उलझन को बढ़ाए हुए है। उनके विधायक भी धड़ों में बंटे हुए हैं। जिससे राज्यसभा चुनाव को लेकर कोई एक राय नहीं बन पा रही है। इसी उलझन को सुलझाने दिल्ली में पार्टी हाईकमान मंथन करने जा रहा है।
कब है राज्यसभा चुनाव
बता दें कि झारखंड से राज्यसभा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसी को लेकर मंगलवार को राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना मंगलवार को जारी हुई। 31 मई तक नॉमिनेशन दाखिल किया जाएगा। एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होती तो तीन जून तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। अब ऐसे में अगर दो सीट पर दो से ज्यादा उम्मीदवार हुए तो 10 जून को वोटिंग होगी और रिजल्ट भी उसी दिन आएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े
अब अगर आंकड़ों की बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास अच्छा-खासा संख्याबल है। जबकि कांग्रेस को कई विधायकों को अपने पक्ष में लाना होगा। राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए 28 विधायकों के मत की जरुरत है। झामुमो के पास 30 विधायक, जबकि कांग्रेस के पास 17 विधायक ही हैं। इसलिए बिना गठबंधन के कांग्रेस के लिए जीत की राह बिल्कुल भी आसान नहीं है।
कांग्रेस में कई दावेदार हैं। जिसमें सबसे पहला नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय का है। उनके अलावा पूर्व विधायक फुरकान अंसारी, पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार का नाम भी रेस में बना हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का नाम भी दावेदारों में बताया जा रहा है। अब जातिगत समीकरण साधने के लिए कांग्रेस को काफी माथापच्ची करनी पड़ रही है। जिसको लेकर आज दिल्ली में बैठक बुलाई गई है।
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