झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन के ऊपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामले की सुनवाई होने के बाद से ही राजनीतिक उतल पुथल का दौर जारी है। वहीं राज्य के सुप्रीमों ने अपने विधायकों को छ्त्तीसगढ़ के रायपुर स्थित मेफेयर रिसॉर्ट भेज दिया गया। अब इस पर छत्तीसगढ़ के सीएम का बयान सामने आया है।
रांची (झारखंड). झारखंड में सियासी बवाल के बीच 31 विधायकों को छत्तिसगढ के रायपुर स्थित मेफेयर रिसॉर्ट में नजरबंद कर दिया गया है। बाकी के विधायकों की भी रायपुर जाने की सूचना है। इसी बीच छत्तिसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से हॉर्स ट्रेडिंग कर रही है इसके चलते झारखंड के विधायकों को छत्तीसगढ़ में ठहरने के लिए कहा गया है। एक सप्ताह हो गया है राजभवन से नोटिफिकेशन को लेकर लिफाफा नहीं खुल पाया है। इसका मतलब साफ है कि अंदर खाने कुछ तो पक रहा है। ऐसी स्थिति में विधायकों की सुरक्षा के लिए वो छत्तीसगढ़ में आए हैं, यहां रिसॉर्ट में हैं।
रायपुर के मेफेयर रिजॉर्ट में 31 विधायक
झारखंड में सियासी संकट के बीच यूपीए के विधायकों को रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। कांग्रेस-जेएमएम और राजद के 32 विधायकों को रांची से इंडिगो के विशेष विमान से रायपुर लाया गया है। विधायकों को 3 बसों में बैठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिजॉर्ट ले जाया गया। रिसॉर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस रिजॉर्ट को 2 दिनों के लिए बुक किया गया है। देर रात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विधायकों से रिजॉर्ट में मुलाकात की।
मेफेयर कांग्रेस विधायकों के लिए अभेद किला
मेफेयर अभी तक कांग्रेस विधायकों के लिए सबसे अभेद रहा है। पिछले साल जब असम में विधानसभा चुनाव हुए थे और वहां विपक्ष के विधायकों की खरीद फ़रोख़्त शुरू हुई थी। तब वहां विपक्ष के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को रायपुर के इसी मेफ़ेयर रिजॉर्ट में लाया गया था। वही जब हरियाणा में राज्यसभा चुनाव होना था, वहां भी बीजेपी की तरफ से खरीद-फ़रोख़्त क़ी बात सामने आई तो हरियाणा के विधायकों को मेफेयर में ही ठहराया गया था। अब जब झारखंड सरकार के सामने संकट आया है तो विधायकों को यहां लाया गया है। छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल को क्राइसिस मैनेजमेंट का मास्टर माना जाता है।
विधायकों के लिए रिजॉर्ट में पहुंची शराब
इससे पहले जब विधायक रिसॉर्ट पहुंचे जहां उनको ठहराया गया है, वहां शराब भेजी गई है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग की एक गाड़ी में महंगी शराब पेटियों में पहुंचाई गई है। बताया जा रहा है कि ये विधायकों के लिए ही भेजी गई है।
आरपीएन सिंह के कंधे पर है कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी
बीजेपी में जाने से पहले आरपीएन सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी थे। राज्य में कांग्रेस को खड़ा करने और सत्ता में साझीदार बनाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है। टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री तय करने तक का सार काम खुद आरपीएन सिंह ने खुद संभाला था। ऐसा माना जाता है कि उन्हें झारखंड कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी दोनों की बखूबी जानकारी है।
कई विधायक आरपीएम के संपर्क हैं
झारखंड कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी भी झारखंड कांग्रेस के कई विधायक सीधे आरपीएन सिंह के संपर्क में हैं। लगातार इनकी दिल्ली में आरपीएन सिंह से मुलाकात हो रही है। यही कारण है कि अविनाश पांडे कांग्रेस को बचाने की मुहिम में खुद फ्रंट से लीड कर रहे हैं। हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड वे भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि ये एक जटिल काम हैं।
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