भ्रष्टाचार पर हेमंत सरकार सख्त रवैया:25 हजार करोड़ के विद्युत नियामक आयोग के घोटाले मामले में दिए जांच के आदेश

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन  ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन से जुड़े मामले में जांच के आदेश दे दिए है। यह पूरा मामला 25 हजार करोड़ के सरकारी घोटाले का है इसमें अभी के चेयरमैन अरविंद प्रसाद के साथ कई लोगों का नाम भी शामिल है।

रांची. झारखंड में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्य सरकार ने सख्ती शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग में तत्कालीन चेयरमैन अरविंद प्रसाद, तत्कालीन मेंबर तकनीकी आरएन सिंह और मेसर्स बिहार फाऊंडरी एंड कास्टिंग लि. के प्रोपाराइटर गौरव बुधिया के विरूद्ध निगरानी जांच का आदेश दिया है। यह पूरा मामला 25 हजार करोड़ रूपए के सरकारी घोटाला का मामला है। 

यह था मामला
तत्कालीन चेयरमैन अरविंद प्रसाद के समय का यह मामला प्रकाश में आया था। मामला सामने आने के बाद दबाव बढ़ जाने के कारण सरकार ने अरविंद प्रसाद को इस्तीफा देने का निर्देश दिया था। सरकारी निर्देश के आद अरविंद प्रसाद ने हेमंत सरकार गठन के बाद जून 2020 में रिजाइन दे दिया था। दरअसल अरविंद प्रसाद पर यह आरोप लगा था कि डीवीसी ने नया बिजली टैरिफ प्लान नियामक आयोग में फाइल किया था। चूंकि डीवीसी कमांड एरिया की अधिक बिजली इंडस्ट्रियल एरिया ही उपभोग करती है। डीवीसी का बिजली टैरिफ न बढ़े, इसके लिए गौरव बुधिया ने करीब 9 करोड़ रूपए औद्योगिक इकाईयों से वसूल करके तत्कालीन चेयरमैन अरविंद प्रसाद को दिया था। 

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बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं अरविंद कुमार
जानकारी के अनुसार अरविंद कुमार बिहार कैडर के आइएएस अधिकारी रहे हैं। इनकी नियुक्ति रघुवर दास के शासनकाल में हुई थी। अरविंद कुमार सचिव सुनील कुमार वर्णवाल के करीबी रिश्तेदार हैं। दरअसल आयोग में बिजली टैरिफ बढ़ाने और न बढ़ाने को लेकर बडे औद्योगिक इकाईयों का एक बड़ा रैकेट काम करता है। इससे आयोग के अफसरों को प्रभावित भी किया जाता है। कई बार बड़े औद्योगिक इकाईयों अपने हिसाब से बिजली टैरिफ तय करवाने में अहम भूमिका अदा करते हैं।

जांच के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को घेरने की तैयरी
मुख्‍यमंत्री ने झारखंड विद्युत नियामग आयोग के 25 करोड़ के घोटाले के जांच को स्वीकृति दे दी है। इसके बाद कयास लगाया जा रहा है कि इसी बहाने हेमंत सरकार भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुचर दास को घेरने की तैयारी कर रहे है। हालांकि मैनहर्ट घोटाला, चॉकलेट-टीशर्ट घोटाला, कंबल खरीद घोटाला आदि के माध्‍यम से पहले से रघुवर दास को घेरने की तैयारी चल रही है। दरअसल विद्युत नियामक आयोग के अध्‍यक्ष की नियुक्ति रघुवर सरकार के शासन काल में जुलाई 2017 में हुई थी।
य़ह भी पढ़े-  झारखंड के सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को वीक ऑफ और हाथ बांध प्रार्थना करने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

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