झारखंड में चला रहे है वाहन तो जान ले ये नियम, नहीं तो हो सकती है मुसीबत, प्रदेश में हुए दो बदलाव

झारखंड में दो बड़े बदलाव किए गए है। पहला है कि रजिस्टर्ड वाहन को ही प्रदेश में मान्यता, दूसरा है जमीन रजिस्ट्री के लिए खतियान आवश्यक। लोगों में नियमों को लेकर नाराजगी दिख रही है।

रांची (ranchi). झारखंड सरकार ने दो बड़े बदलावा किए हैं। प्रदेश में रजिस्टर्ड वाहन की चल सकेंगे। वहीं जमीन या फ्लैट के निबंधन के लिए अब मूल खतियान का होना जरूरी कर दिया गया है। इन दोनों बदलावों का असर राज्य के लोगों पर पड़ेगा। रजिस्टर्ड वाहन से संबंधित बदलाव को लेकर ऐसोसिएशन ने नाराजगी जताई है, तो वहीं राज्य के लोग निबंधन में खतियान मांगने पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। 

परिवहन सचिव ने सभी आरटीओ, डीटीओ को टैक्स वसूली का दिया आदेश
दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड गाड़ियों को झारखंड में स्थायी तौर पर चलाने वाले वाहन मालिकों पर कार्रवाई की जायेगी। ऐसे वाहन मालिकों से 5-10 हजार तक जुर्माना वसूला जाएगा। यहां अगर दूसरे राज्य की गाड़ी लंबे समय से वाहन मालिक चला रहे हैं, तो वह 30 दिनों के भीतर टैक्स जमा करना होगा, नहीं तो उनसे जुर्माना लिया जाएगा। परिवहन सचिव केके सोन ने सभी आरटीओ, डीटीओ व एमवीआइ को दूसरे राज्यों से निबंधित व्यावसायिक व निजी वाहनों से हर हाल में प्राथमिकता के आधार पर टैक्स वसूली की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। दूसरे राज्यों से निबंधित वैसे निजी वाहन, जो झारखंड में एक वर्ष से ज्यादा समय से हैं, उन्हें झारखंड के जिस जिले में रहते हैं, वहां से निबंधन कराना होगा। वहीं, दूसरे राज्यों के जो भी व्यावसायिक वाहन झारखंड में प्रवेश करेंगे, उनसे एक सप्ताह का रोड टैक्स वसूल करने को कहा गया है। यदि उक्त वाहन झारखंड में ही है, तो उसे यहां से निबंधन कराना होगा। उन्होंने सभी जिलों में क्यूआर कोड के जरिये ऑनलाइन पेमेंट सेवा चालू करने का निर्देश आरटीओ, डीटीओ व एमवीआइ को दिया है। 

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दूसरे राज्यों से सस्ते में गाड़ियों का कराते हैं रजिस्ट्रेशन
झारखंड के पड़ोसी राज्यों में गाड़ियों का निबंधन सस्ता होने के कारण झारखंड के लोग टैक्स चोरी के चक्कर में दूसरे राज्य में गाड़ी रजिस्टर्ड कराते हैं। फिर गाड़ी को यहां स्थायी रूप से चलाते हैं। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से सेकेंड हैंड वाहन की खरीद कर पलामू में स्थायी रुप से चलाते हंै। बिहार, छत्तीसगढ़ और यूपी के हजारों लोग पलामू में रहते हैं और वहां निबंधित वाहनों का उपयोग पलामू में करते है। दूसरे राज्य में निबंधित वाहन को अधिकतम 30 दिनों के भीतर वह अपने जिले के डीटीओ ऑफिस में टैक्स जमा कराना है। उन्हें एक साल के भीतर झारखंड का नंबर ले लेना है। दूसरे राज्य के निबंधित वाहन मालिक झारखंड में नियमित टैक्स जमा करा देते हैं तो उन्हें जुर्माना नहीं लगेगा। परिवहन सचिव केके सोन ने सभी आरटीओ को थानों में जब्त वैसे वाहन, जिससे परिवहन विभाग को राजस्व नहीं मिल पा रहा है। वैसे वाहनों को नीलाम करने का निर्देश दिया है।

जमशेदपुर एसोसिएशन ने बताया तुगलकी फरमान... झारखंड की गाड़ी झारखंड में ही होगी रजिस्टर्ड
राज्य में एक तुगलगी फरमान जारी किया गया कि झारखंड की गाड़ी झारखंड में ही रजिस्टर्ड कराने के बाद चलेगी। सरकार के इस आदेश के बाद जमशेदपुर के ट्रक-ट्रेलर ऑनर एसोसिएशन ने राज्य सरकार के खिलाफअर्द्धनग्न होकर सड़क पर प्रदर्शन किया। इसके बाद एसोसिएशन ने डीसी को इससे संबंधित ज्ञापन सौंपा। उनकी मांग है कि ऑल इंडिया परमिट पर ही उनकी गाड़ी चलने दी जाए। एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि नागालैंड की परमीट को झारखंड सरकार नहीं मानकर झारखंड की गाड़ियों से लाखों की वसूली कर रही है। यह जायज नहीं है। बीते दिनों जमशेदपुर की चार गाड़ियों को खूंटी में जब्त कर उनसे अवैध वसूली की गई थी। 

क्या कहता है नियम
कानून में यह प्रावधान है कि व्यक्ति अपने निवास स्थान से दूसरे राज्य में जाकर वाहन चलाते हैं, तो अधिकतम 30 दिनों के भीतर वहां उन्हें टैक्स जमा कराना है। फिर एक साल के अंदर संबंधित राज्य में निबंधन कराना है, नहीं तो वाहन परिचालन अवैध मानते हुए जुर्माना होगा।

भू-निबंधन एवं सुधार विभाग का निर्देश... झारखंड में जमीन या फ्लैट के निबंधन के लिए अब मूल खतियान जरुरी
भू-निबंधन एवं सुधार विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा कि झारखंड में अगर किसी जमीन या फ्लैट का निबंधन कराना हो तो उस जमीन की मूल खतियान का रिकॉर्ड में  होना बेहद जरूरी है। इस आदेश के बाद आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। बता दें कि जून माह तक जमीन और फ्लैट का निबंधन ऑनलाइन दस्तावेज के सत्यापन के माध्यम से हो रहा था लेकिन 1 जुलाई से इसमें बदलाव कर दिया गया है। अब जमीन और फ्लैट के निबंधन के लिए ऑनलाइन खतियान के साथ-साथ ऑफलाइन खतियान की भी मांग हो रही है। अगर मूल खतियान फटा हुआ है या उसमे कुछ त्रुटि है, तो इस परिस्थिति में 15 दिनों के भीतर सीओ से सत्यापन कराना होगा। इसके बाद सत्यापन के लिए दस्तावेज तैयार करने वाले डीड राइटर और आम लोगों को निबंधन कार्यालय और अंचल कार्यालय में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

राज्य के लोगों की बढ़ी परेशानी
दरअसल राज्य के बहुत से लोगों का मूल खतियान फटा हुआ है। इस परिस्थिति में लोगों को दस्तावेज के सत्यापन के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना होगा। भू राजस्व विभाग द्वारा जारी इस आदेश से जहां एक तरफ आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार को भी राजस्व की बड़ी क्षति हो रही है। दरअसल नई व्यवस्था बहाल होने से निबंधन के आंकड़ें में 50 फ़ीसदी से भी अधिक की गिरावट आ गई है।

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