झारखंड में मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता... मानसून में कम बारिश से अब तक सिर्फ 5.8 फीसदी हुई धानरोपनी

झारखंड में इस बार अभी तक हुई बारिशन किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इसके कारण वहां की खेती में असर दिखेगा। कम बारिश से धान की खेती पर पड़ेगा असर। अच्छा मानसून न आने के कारण प्रदेश में अभी तक केवल 5.8 परसेंट ही धान की बुआई हुई है।

रांची. मानसून में अब तक पूरे झारखंड राज्य में औसत से 48 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इससे राज्य के किसानों की चिंता बढ़ गई है। कम बारिश की वजह से धान की खेती पर असर पड़ने वाला है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब तक राज्यभर में केवल 5.8 प्रतिशत धान की बुआई हुई है। धनरोपनी कम होने से राज्य में धन की खेती पर असर पड़ने वाला है। कम बारिश से खेतों में नमी गायब हो गयी है, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें झलकने लगी है। मौसम की बेरूखी की वजह से दलहन, तिलहन, मोटा अनाज और अन्य फसलों की खेती भी कमजोर पड़ गयी है। राज्य के 24 में से 16 जिलों में धान की खेती के लिए बिचड़ा लगाने का काम भी धीमा है।

साहिबगंज, पाकुड़, देवघर, जामताड़ा, गोड्‌डा की स्थिति खराब
बारिश की बात की जाए तो राज्य के पांचों प्रमंडल में सबसे खराब स्थिति संथाल परगना की है। संथाल परगना के अंतर्गत साहिबगंज, पाकुड़, देवघर, जामताड़ा और गोड्डा जिला आता है। इसके बाद चतरा, पलामू, गढ़वा, रांची, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, बोकारो की स्थिति भी ठीक नहीं है। आंकड़ों के हिसाब से साहिबगंज में औसत से 80 फीसदी कम बारिश हुई है। चतरा में औसत से 73 फीसदी, पाकुड़ में 72, गढ़वा में 69, गोड्डा में 66, पलामू में 62, रामगढ़ में 58 और हजारीबाग में 56 फीसदी कम बारिश दर्ज की गयी है। .

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राज्य में औसत से 152.4 मिमी कम बारिश
मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में औसत रूप से जुलाई मध्य तक 316.7 मिमी वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक मात्र 164.3 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गयी है। कम बारिश से उपजे संकट को लेकर कृषि विभाग में उच्च स्तर पर बैठकें शुरू हो गयी हैं। कम बारिश को लेकर विभाग रणनीति बनाने में जुटा है कि बारिश की कम मात्रा को देखते हुए किस तरह के वैकल्पिक फसलों की तैयारी के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाये। 

किसानों को अच्छी फसल देने वाले बीज लगाने का निर्देश
कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि सरकार की ओर से बुलायी गयी बैठक में हालात की समीक्षा की गयी है। हम किसानों तक संदेश पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं कि छोटी अवधि में फसल देनेवाले बीज लगायें। कम बारिश को देखते हुए अंजलि, ललाट, वंदना, बिरसा सुगंधा आदि किस्म के धान बीज लगाना उचित होगा। 
 
15 दिनों में अच्छी बारिश से सुधर सकती है हालात,  सरकार जारी कर सकती है सर्कुलर
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मुकेश सिन्हा का कहना है कि आगामी 15 दिनों के भीतर अच्छी बारिश हुई तो नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो जायेगी। 28 जुलाई के बाद सरकार किसानों के लिए फसल परामर्श को लेकर सर्कुलर जारी कर सकती है। कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक, राज्य में 1800 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है, लेकिन 15 जुलाई की तारीख तक मात्र 104 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हो पायी है। राज्य के छह प्रमंडलों में से उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में धान की बुआई का प्रतिशत लगभग शून्य है। राज्य में धान सहित सभी तरह की खरीफ फसलों की खेती 2827 हेक्टेयर में किये जाने का लक्ष्य निर्धारित है। लेकिन अब तक मात्र 342 हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती की शुरूआत हो पायी है। यह लगभग 12 प्रतिशत है। वैसे राज्य के कोल्हान प्रमंडल की बात करें तो यहां बारिश की स्थिति अच्छी है। सामान्य बारिश के मुकाबले यहां 2 प्रतिशत ही कम बारिश हुई है।

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