सावन सोमवार: देवघर में लगी 12 किमी लंबी लाइन, जानें बाबा बैद्यनाथ को क्यों चढ़ाया जाता है कांचा जल

सावन के पहले सोमवार पर बाबा का पट विशेष पूजा-अर्चना के साथ सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर खोला गया। मंदिर में सुबह से ही जल चढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं। पहले दिन करीब 1.5 लाख लोग मंदिर पहुंच सकते हैं। 

Pawan Tiwari | Published : Jul 18, 2022 4:52 AM IST

देवघर. सावन की पहली सोमवरी पर झारखंड सहित पूरे देश भर के शिव भक्तों में गजब का उत्साह है। सुल्तानगंज से जल उठाकर हजारों शिव भक्त बाबा को जल चढ़ाने देवघर पहुंच चुके हैं। बहुतों ने तो रविवार को ही जल चढ़ा दिया। हजारों लाइन में लगे हुए हैं। सावन के पहले सोमवार को करीब 1.5 लाख लोग बाबा को जल अर्पित करेंगे। बाबा बैद्यनाथ के जलाभिषेक के लिए भक्त रविवार की रात 10 बजे से लाइन में लग गए। सोमवार की सुबह 3 बजे तक 12 किलो मीटर से लंबी लाइन लग गई थी। पूरी रात इंतजार के बाद सुबह 4 बजे से बाबा का जलाभिषेक हुआ।

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सुबह 3.05 बजे बाबा बैद्यनाथ का पट खुला। विधि विधान से सोमवार की पहली सरदारी पूजा की गई। विशेष पूजा लगभग 55 मिनट तक चली। इसके बाद आम भक्तों को बाबा को स्पर्श किए बगैर बाहर से अर्घ्य से जलाभिषेक कराया गया।

रात में ही शिवगंगा में स्नान कर लाइन में लगने लगें भक्त
शिवगंगा पर काफी भीड़ देखने को मिली। रविवार रात से ही भक्तगण शिव गंगा में स्नान कर लाइन में लगने लगे। जल लेकर लाइन में लग गए और सुबह बाबा का जलाभिषेक किया। 12 किलो मीटर से लंबी लाइन सुबह तक लग चुकी है।

सावन के इस दिन टूटेगा भीड़ का रिकॉर्ड

चंद्रकूप कुएं के कांचा जल से बाबा बैद्यनाथ को जगाया गया
सावन के पहले सोमवार पर बाबा का पट विशेष पूजा-अर्चना के साथ सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर खोला गया। इसके बाद मंदिर प्रांगण में स्थित चंद्रकूप कुआं के काचा जल से बाबा को जगाया गया। लगभग 20 मिनट तक बाबा को काचा जल पंडा समाज ने चढ़ाया। इसके बाद पंडा विशेष ने सरदारी पूजा की गई। मान्यता के अनुसार, बाबा को काचा जल चढ़ाकर उनसे पूजा अर्चना के लिए अनुमति ली जाती है, इसके बाद ही बाबा की सरदारी पूजा की जाती है। सावन के पहले सोमवार को सरदारी पूजा में बाबा को चंदन के लेप के साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्पों के सहित बेलपत्र अर्पित किया गया। 28 मिनट तक चली सावन की पहली सरदारी पूजा के बाद लगभग 4 बजे आम भक्तों को अर्घ्य से जलाभिषेक कराया गया।

 

सावन के पहली सोमवारी कब क्या हुआ

अर्ध्य से जलाभिषेक की व्यवस्था
पहली सोमवारी को लेकर प्रशासन की कड़ी व्यवस्था बनाई गई थी। भीड़ को देखते हुए स्पर्श पूजा पहले से ही बंद कर दी गई है। सिर्फ पंडा लोग ही स्पर्श पूजा करते है। बाबा के गर्भ गृह में आम भक्तों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक है। सोमवार को सुबह 4 बजे से आम भक्तों की पूजा शुरु हुई तो भीड़ से पूरा मंदिर प्रांगण ठसाठस भर गया था। भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ती गई। हालांकि जलाभिषेक के लिए अर्घ्य सिस्टम करने से भीड़ का असर अधिक नहीं दिख रहा है। बाबा के गर्भ गृह के बाहर अर्घ्य की व्यवस्था की गई है, जहां भक्त अपना जल अर्पित कर रहे हैं जो बाबा को चढ़ रहा है। बाबा के दर्शन के लिए प्रागंण में बड़ी बड़ी एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की गई है।

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