सभा बुलाकर सुनाया गया 7 लोगों को मृत्युदंड, फिर घसीटते हुए जंगल में ले जाकर कर दिया सिर कलम

झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बुढ सहित 7 लोगों की हत्या के बाद से खौफ का माहौल है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2020 7:47 AM IST

पश्चिम सिहंभूम, झारखंड. जिले के बुरुगुलीकेरा गांव में रविवार को हुए नरसंहार के पीछे आपसी रंजिश सामने आ रही है। इस नरसंहार का आरोप पत्थलगढ़ी समर्थकों पर हैं। यह एक हिंसक गुट बन चुका है। मरने वाले इनके नियम-कायदे नहीं मानते थे। कहा जा रहा है कि मरने वालों ने पहले पत्थलगढ़ी समर्थकों के घरों में आगजनी की, लोगों पर अत्याचार किए। इसके बाद गांव में एक बैठक बुलाई गई और उसमें 7 लोगों को मृत्युदंड दिया गया। इसके बाद सभी को मारते-पीटते हुए जंगलों में ले गया गया। वहां उनकी  हत्या कर दी गई।


जानें घटनावाले दिन क्या हुआ था.
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जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बुढ सहित 7 लोगों की हत्या के बाद से खौफ का माहौल है। एसपी इंद्रजीत महथा ने बताया कि रविवार को बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें वे गांववालों से वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि कागजात जमा कराने को बोल रहे थे। उप मुखिया जेम्स बुढ़ और कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। इसके बाद पत्थलगढ़ी समर्थक उपमुखिया सहित 7 लोगों को गुस्से में उठाकर जंगल ले गए। बाद में उन्हें मार दिया गया। घटना स्थल सोनुवा थाने से करीब 35 किमी दूर है। यह जगह घने जंगलों के बीच है। यह इलाका नक्सली प्रभावित है। घटना के बाद दुर्गम बुरुगुलीकेरा व लोढ़ाई कैंप की 6 किलोमीटर के परिधि क्षेत्र में झारखंड एसाल्ट की टीम ने सर्च अभियान छेड़ा हुआ है। झारखंड जगुआर के रांची कैंप से 80 जवान भी इलाके की सर्चिंग कर रहे हैं। हरेक संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है। पश्चिमी सिहंभूम के एसपी इंद्रजीत महथा ने भी माना है कि इस गांव में पत्थलगढ़ी की मान्यता है।

गांव में 100 परिवार रहते हैं
बुरुगुलीकेरा गांव चक्रधरपुर शहर से करीब 56 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए सिर्फ कच्ची सड़क है। यहां करीब 100 परिवार रहते हैं। बेशक यहां के गांववाले कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उनकी जीवनशैली शहरी है। इनके घरों में टीवी, फ्रीज, कूलर और महंगे मोबाइल मिल जाएंगे। यानी गांवों तक बिजली पहुंच गई है। बताते हैं कि 16 जनवरी को मरने वालों ने पत्थलगढ़ी समर्थकों के घरों में तोड़फोड़ की थी। इसी सिलसिले में गांव में सभा बुलाई गई और सभी 7 आरोपियों का सिर उड़ाने की सजा दी गई। पुलिस ने 22 जनवरी की सुबह गांव से तीन किलोमीटर दूर जंगल से इनके शव बरामद किए थे। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि गांव के पूर्व मुखियापति रणसी बूढ़ और उपमुखिया पति जेम्स बूढ़ के बीच आपसी रंजिश थी। रणसी बूढ़ पत्थलगढ़ी का समर्थक है, जबकि जेम्स बूढ़ इसका विरोधी था।

जानें क्या है पत्थलगढ़ी आंदोलन..
झारखंड से शुरू हुए आदिवासियों के पत्थलगढ़ी आंदोलन ने छत्तीसगढ़ तक अपना विस्तार कर लिया है। बताते हैं कि आदिवासियों को जल-जंगल और जमीन पर अधिकार दिलाने पत्थलगढ़ी समर्थक गांववालों को संगठित कर रहे हैं। पत्थलगढ़ी समर्थक बैठकें आयोजित करके लोगों को अपने पक्ष में कर रहे हैं। गांव में पत्थर के बोर्ड लगाकर अपने आंदोलन का ऐलान कर दिया गया है। पत्थलगढ़ी समर्थक ऐसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां सरकारी महकमा आसान से नहीं नहीं पहुंच सकता। हालांकि जो लोग इस आंदोलन के समर्थक नहीं है, उनके बीच खूनी संघर्ष की स्थितियां बन रही हैं। आदिवासियों में पत्थलगढ़ी एक पुरानी परंपरा है। इसमें गांववाले गांव की सरहद पर एक पत्थर गाढ़कर रखते थे। इसमें अवांछित लोगों को गांव में घुसने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी लिखी होती थी। हालांकि अब इन पत्थरों पर भारतीय संविधान की गलत व्याख्या करके गांववालों को उकसाया जा रहा है।

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