अंशुमन किताबें लिखने के साथ-साथ शहर के अन्य युवाओं को सही दिशा देने का काम कर रहे हैं ताकि लेखन में रुचि रखने वाले अन्य युवा भी इसमें अपना करियर बना सकें।
बॉलीवुड में सिर्फ अभिनेता ही नहीं बल्कि बड़े लेखक, निर्देशक, कैमरामैन, एडिटर भी अपना नाम बनाते हैं, इसके अलावा भी इस क्षेत्र में कई जगहों पर अवसर हैं जिसमें कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर खुद को निखार सकते हैं और एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी एक लेखक के जीवन में बहुत संघर्ष होता है और काफी संघर्ष के बाद भी समय तय करता है कि उसे सफलता मिलेगी या नहीं। जब सफलता मिलती है तो कमाई के रास्ते भी अपने आप खुल जाते हैं।
अब तक चार किताबें हो चुकी हैं प्रकाशित
अंशुमन भगत की वर्ष 2018 में पहली किताब "योर ओन थॉट" पब्लिश हुई थी, जिसे दिल्ली के इन्विंसिबल पब्लिशर ने प्रकाशित किया था। अब तक उनकी चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। हाल ही में ऑथर्स ट्री पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित भगत की चौथी किताब "एक सफर में" फिल्म जगत की आंतरिक सच्चाई, जीवन में ग्रंथों का महत्व तथा पाठकों को पूर्ण रूप से जीवन के वास्तविकता से परिचित कराने की कोशिश की गई है।
हाल ही में मिला है बेस्ट ऑथर का अवॉर्ड
अंशुमन भगत को मोनोमौसुमी द्वारा वर्ष 2022 के सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार दिया गया है। सैकड़ों नामांकन में उन्हें सर्वश्रेष्ठ लेखक नामित किया गया था। अंशुमन को उनकी पुस्तक और लेखन शैली में उनके सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में चुना गया। उन्हें यह पुरस्कार उनकी किताब 'एक सफर में' के लिए मिला है, किताब 'एक सफर में' बॉलीवुड टीवी इंडस्ट्री की पर्दे के पीछे की कहानियों और अभिनेताओं के संघर्ष पर आधारित है।
युवाओं को दे रहे हैं प्रेरणा
जमशेदपुर के लेखक अंशुमन भगत ने कई वर्षों की मेहनत और अपनी काबिलियत के दम पर अच्छा मुकाम हासिल किया है। जिसके चलते अंशुमन काफी चर्चा में बने रहते हैं। अंशुमन किताबें लिखने के साथ-साथ शहर के अन्य युवाओं को सही दिशा देने का काम कर रहे हैं ताकि लेखन में रुचि रखने वाले अन्य युवा भी इसमें अपना करियर बना सकें। शुरूआती दौर में जब अंशुमन भगत खुद लेखन के क्षेत्र में आना चाहते थे तो उन्हें भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। खासकर किताबों के प्रकाशन के संबंध में, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है और जिन्हें इससे जुड़ी जानकारी भी होती है, वे इसे सही से नहीं बताते, बल्कि गलत बताकर गुमराह करने का काम करते हैं लेकिन अंशुमन नहीं चाहते कि पुस्तक प्रकाशन से जुड़े नए लेखकों को किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़े।