11 मई, सोमवार से शनि ग्रह अपनी स्वराशि मकर में वक्री हो चुका है। इसके बाद 13 मई को शुक्र भी वृषभ राशि में वक्री हो जाएगा। ये दोनों ग्रह अपनी-अपनी राशि में वक्री रहेंगे।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, अगले कुछ दिनों में 9 में से 6 ग्रह एक साथ वक्री रहेंगे। ये एक दुर्लभ संयोग है। ऐसा बहुत ही कम होता है, जब एक साथ 6 ग्रह वक्री रहते हैं। ग्रहों के इस दुर्लभ संयोग का असर देश-दुनिया पर होगा।
राहु-केतु हमेशा रहते हैं वक्री
राहु-केतु छाया ग्रह माने गए हैं, ये हमेशा वक्री ही रहते हैं। राहु-केतु क्रमश: मिथुन और धनु में वक्री हैं। सूर्य और चंद्र हमेशा मार्गी रहते हैं। 14 मई को गुरु भी वक्री हो रहा है। ये अपनी नीच राशि मकर में शनि के साथ स्थित है। इसके बाद लगातार 34 दिनों तक गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु ये 5 ग्रह वक्री रहेंगे। 18 जून को बुध भी अपनी स्वराशि मिथुन में वक्री हो जाएगा। इस तरह 6 ग्रहों वक्री हो जाएंगे।
7 दिनों के लिए 6 ग्रह रहेंगे वक्री
ज्योतिष में ग्रहों की दो स्थितियां बताई गई हैं। एक मार्गी और दूसरी वक्री। मार्गी में ग्रह सीधा चलता है यानी आगे बढ़ता है। जबकि वक्री स्थिति में ग्रह टेढ़ा या उल्टा चलता है यानी पीछे की ओर चलने लगता है। 18 जून से 25 जून तक 7 दिनों के लिए 6 ग्रह वक्री रहेंगे। इसके बाद 25 जून की रात शुक्र ग्रह वृष राशि में मार्गी हो जाएगा। इसके बाद पांच ग्रह वक्री रह जाएंगे।
दुर्लभ योग- गुरु-शनि एक साथ मकर राशि में
सन 1961 में गुरु नीच राशि मकर और शनि स्वयं की राशि मकर में एक साथ युति बनाते हुए वक्री हुए थे। उस समय शुक्र वक्री नहीं था और बुध अपनी स्वयं की राशि मिथुन में वक्री था। जुलाई 1961 में भी शुक्र वृषभ में था, लेकिन वक्री नहीं था।
सभी 12 राशियों पर इन योगों का असर
ये ग्रह योग मेष, कर्क, तुला, मकर, कुंभ राशि के लिए शुभ रहेगा। वृष, कन्या, वृश्चिक राशि के लिए अशुभ स्थिति बनेगी। मिथुन, सिंह, धनु और मीन राशि के लोगों के लिए समय सामान्य रहेगा।
देश-दुनिया पर वक्री ग्रहों का असर
ज्योतिष में ग्रह मार्गी और वक्री होते रहते हैं, लेकिन 5 या 6 बड़े ग्रहों का एक साथ वक्री होना दुर्लभ है। मई-जून के मध्य में ऐसा योग बनेगा और जुलाई के प्रारंभ तक इन ग्रहों का वक्री योग चलेगा। इस समय दुनियाभर में महामारी कोरोना वायरस फैली हुई है और अर्थ व्यवस्था बिगड़ रही है। पं. शर्मा के अनुसार इन ग्रहों के वक्री होने से दुनियाभर में महामारी का असर कम हो सकता है। अर्थ व्यवस्था में सुधार के भी योग बन रहे हैं।