6 जुलाई, सोमवार से सावन माह शुरू चुका है, जो 3 अगस्त तक रहेगा। इस साल सावन में ग्रहों का विशेष योग बन रहा है।
उज्जैन. 2020 से पहले ऐसा योग 558 साल पहले यानी 1462 में बना था। सोमवार से शुरू होकर इसी वार को सावन खत्म होने से इस माह का महत्व और अधिक बढ़ गया है।
4 ग्रह रहेंगे वक्री
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस बार सावन में गुरु, शनि, राहु और केतु चारों ग्रह एक साथ वक्री रहेंगे। 558 साल पहले सन 1462 में भी गुरु, शनि, राहु-केतु एक साथ वक्री थे और सावन आया था। उस समय गुरु स्वयं की राशि धनु में वक्री, शनि अपनी राशि मकर में वक्री, राहु मिथुन में और केतु धनु राशि में वक्री था। ऐसा ही योग 2020 में भी बना है। उस समय सावन 21 जून से 20 जुलाई 1462 तक था।
सावन से जुड़ी खास बातें
- सावन पांचवां हिन्दी माह है। इसके स्वामी वैकुंठनाथ हैं, और श्रवण नक्षत्र में इसकी पूर्णिमा आने से इसे श्रावण या सावन माह कहा जाता है।
- उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग में भेद है। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में 21 जुलाई से सावन शुरू और 19 अगस्त को खत्म होगा। जहां उत्तर भारत का पंचांग प्रचलित है, वहां 6 जुलाई से 3 अगस्त तक सावन रहेगा।
- इस बार सावन सोमवार से शुरू होकर इसी वार को खत्म होगा। शिवजी की पूजा में सोमवार का विशेष महत्व है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। चंद्र का एक नाम सोम भी है। चंद्रवार को ही सोमवार कहते हैं।
- सोम यानी चंद्र शीतल ग्रह है। शिवजी ने विषपान किया था, जिससे उन्हें बहुत ज्यादा तपन होती है, इसलिए शिवजी शीतलता देने वाली चीजों को पसंद करते हैं। इसलिए उन्होंने चंद्र को मस्तक पर धारण किया है।
- चंदन, बिल्व पत्र, जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद ये सभी चीजें भी ठंडक देने वाली हैं। हल्दी गर्म रहती है, इस वजह इसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।