160 साल बाद लीप ईयर में आश्विन का अधिक मास, जानिए कैसे होती है अधिक मास की गणना

अंग्रेजी कैलेंडर में चार वर्ष में एक बार लीप ईयर आता है। लीप ईयर में फरवरी में 29 दिन होते हैं। हिंदू कैलेंडर में लीप ईयर नहीं होता, अधिक मास होता है। ये संयोग है कि 2020 में लीप ईयर एवं आश्विन अधिकमास दोनों एक साथ आए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 10, 2020 3:45 AM IST / Updated: Sep 10 2020, 10:26 AM IST

उज्जैन. ये संयोग है कि 2020 में लीप ईयर एवं आश्विन अधिकमास दोनों एक साथ आए हैं। आश्विन का अधिकमास 19 साल पहले 2001 में आया था, लेकिन लीप ईयर के साथ अश्विन में अधिकमास 160 साल पहले 2 सितंबर 1860 को आया था।

कैसे होती है अधिक मास की गणना?
- काल गणना के दो तरीके है। पहला सूर्य की गति से और दूसरा चंद्रमा की गति से। सौर वर्ष जहां सूर्य की गति पर आधारित है तो चंद्र वर्ष चंद्रमा की गति पर।
- सूर्य एक राशि को पार करने में 30.44 दिन का समय लेता है। इस प्रकार 12 राशियों को पार करने यानि सौर वर्ष पूरा करने में 365.25 दिन सूर्य को लगते हैं।
- वहीं चंद्रमा का एक वर्ष 354.36 दिन में पूरा हो जाता है। लगभग हर तीन साल (32 माह, 14 दिन, 4 घटी) बाद चंद्रमा के यह दिन लगभग एक माह के बराबर हो जाते हैं।
- इसलिए, ज्योतिषीय गणना को सही रखने के लिए तीन साल बाद चंद्रमास में एक अतिरिक्त माह जोड़ दिया जाता है। इसे ही अधिक मास कहा जाता है।

अधिक मास को कहते हैं पुरुषोत्तम मास
अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है यानी भानी भगवान विष्णु का महीना। इस महीने में धार्मिक कार्य करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि अधिक मास में यदि भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय किए जाएं तो मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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