296 साल बाद 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण पर बन रहा है ये दुर्लभ योग, जानें क्या होगा देश पर इसका असर

Published : Dec 25, 2019, 10:55 AM IST
296 साल बाद 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण पर बन रहा है ये दुर्लभ योग, जानें क्या होगा देश पर इसका असर

सार

26 दिसंबर, गुरुवार को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। इस समय धनु राशि में 6 ग्रह एक साथ रहेंगे। ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को हुआ था।

उज्जैन. ग्रहों की ऐसी स्थिति तीन सदी पहले बनी थी। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसंबर को बन रही है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा, क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य का 97% भाग ढंकेगी। इस सूर्य ग्रहण की अवधि करीब 3.30 घंटे रहेगी।

कहां-कहां देगा दिखाई ?
यह सूर्य ग्रहण भारत, श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और बोर्नियो में दिखाई देगा। ऊटी, कोयंबटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, अल होफुफ और सिंगापुर के कुछ प्रसिद्ध शहरों में वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। वहीं मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई, मैसूर, कन्याकुमारी, रियाद, दोहा, अबू धाबी, मस्कट, कुवैत सिटी, कराची, कुआलालंपुर, जकार्ता और भारत के कुछ प्रसिद्ध शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

सूर्य के साथ धनु राशि में कौन-से ग्रह

  • 26 दिसंबर को मूल नक्षत्र और वृद्धि योग में सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। 296 साल बाद दुर्लभ योग बन रहे हैं। इस दिन मूल नक्षत्र में 4 ग्रह रहेंगे।
  • वहीं, धनु राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, बृहस्पति, शनि और केतु रहेंगे। इन 6 ग्रहों पर राहु की पूर्ण दृष्टि भी रहेगी। इनमें 2 ग्रह यानी बुध और गुरु अस्त रहेंगे।
  • इन ग्रहों के एक राशि पहले (वृश्चिक में) मंगल और एक राशि आगे (मकर में) शुक्र स्थित है। इस कारण द्विर्द्वादश योग बनने से ये 2 ग्रह भी इससे प्रभावित होंगे।
  • इस तरह दुर्लभ सूर्य ग्रहण में 7 ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। इस तरह पूरे 9 ग्रह इस ग्रहण से प्रभावित रहेंगे।

क्या होगा ग्रहण का असर?

  • देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। लोगों के भय और रोगों का नाश होगा और देश के बड़े पदों की जिम्मेदारियां पूरी होंगी। देश के महत्वपूर्ण कार्य भी सिद्ध होंगे।
  • वहीं ग्रहण का स्पर्श पूर्व दिशा में होने से पृथ्वी पर वर्षा अधिक होगी एवं अशुभ फल के रूप में राजपुत्रों को कष्ट तथा स्त्रियों को पीड़ा हो सकती है।
  • इसके प्रभाव से वर्षा अधिक होगी। अन्न-भंडार की वृद्धि होगी। वृक्षों में फल-फूल अधिक रहेंगे तथा गायों के घी-दूध आदि की वृद्धि होगी।
  • देश की जनता में आनन्द तथा राजाओं में शान्ति रहेगी। वारुण मण्डल का फल पांच माह के भीतर मिलेगा।
  • पौष मास में ग्रहण होने से देश में अच्छी बारिश, अन्न-भंडार और सुख बढ़ेगा। रस और ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थों में वृद्धि होने के भी योग बन रहे हैं।

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