15 दिसंबर की रात से सूर्य राशि बदलकर वृश्चिक से धनु में आ चुका है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि धनु राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। इस राशि में सूर्य के आ जाने से मौसम में बदलाव होंगे। जिससे देश के कुछ हिस्सों में बारिश की संभावना बन सकती है। जिससे ठंड भी बढ़ेगी।
उज्जैन. इस राशि में सूर्य 14 जनवरी तक रहेगा। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, सूर्य के इस राशि परिवर्तन से छोटे यानी निचले स्तर के काम करने वाले लोगों के लिए समय अच्छा रहेगा। वस्तुओं की लागत सामान्य होगी। देश के लोगों को डर और चिंता से राहत मिलेगी। साथ ही सेहत संबंधी परेशानी भी खत्म होगी। लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे। अनाज अच्छा होगा।
साल में 2 बार सूर्य आता है बृहस्पति की राशि में
डॉ. मिश्र का कहना है कि सूर्य साल में दो बार बृहस्पति की राशियों में एक महीने के लिए रहता है। इनमें 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक धनु और 15 मार्च से 15 अप्रैल तक मीन राशि में। इसलिए इन 2 महीनों में जब सूर्य और बृहस्पति का योग बनता है तो इसे गुर्वादित्य काल कहा जाता है। इस काल में किसी भी तरह के मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
1 महीने तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य
- सूर्य के धनु राशि में आ जाने से अब 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो गया है। खरमास के लगते ही मांगलिक कामों पर एक बार फिर रोक लग जाएगी। एक महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। खरमास की अवधि 14 जनवरी को समाप्त होगी।
- इसके बाद से ही मांगलिक कामों की शुरुआत होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि वर्जित होते हैं। सूर्यदेव एक राशि में एक माह तक रहते हैं।
- इसके बाद ये राशि परिवर्तन करते हैं जिसे संक्रांति कहते हैं जिस भी राशि में सूर्य जाते हैं उसी राशि के नाम से संक्रांति जानी जाती है। ऐसे ही जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है। मीन संक्रांति होने पर भी खरमास लगता है।