9 ग्रहों में से कौन-से ग्रह हमेशा टेढ़ी चाल चलते हैं और कौन-से ग्रहों की चाल में परिवर्तन होता रहता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल में समय-समय पर परिवर्तन होता रहता था। कभी कोई ग्रह टेढ़ी चाल चलने लगता है कुछ दिनों बाद वही ग्रह दोबारा सीधी चाल चलने लगता था। ग्रहों का वक्री और मार्गी होना इसी को कहते है। वक्री यानी टेढ़ी चाल और मार्गी यानी सीधा चाल।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2022 1:03 PM IST

उज्जैन. जब-जब भी ग्रहों की चाल में परिवर्तन होता है, हमारे जीवन पर इसका प्रभाव जरूर देखने को मिलता है। सौर मंडल में 9 ग्रह है। लेकिन इनमें से कुछ ग्रह हमेशा सीधी चाल चलते हैं तो कुछ हमेशा उल्टी। वहीं शेष ग्रह समय-समय उल्टी और सीधी दोनों चाल चलते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं इन ग्रहों के बारे में कि कौन-सा ग्रह कैसी चाल चलता है।

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ऐसी है ग्रहों की चाल
- 9 ग्रहों में सूर्य और चंद्र 2 ऐसे ग्रह है, जो कभी उल्टी चाल नहीं चलते यानी सिर्फ मार्गी यानी सीधी चाल चलते हुए भी राशि क्रम में आगे बढ़ते जाते हैं।
- इसी प्रकार छाया ग्रह राहू और केतु हमेशा वक्री रहते हैं, ये कभी सीधे नहीं चलते। यानी ये 12 राशि से 11वीं राशि में आते हैं फिर 10वीं राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह ये दोनों ग्रह उल्टी चाल चलते राशि क्रम में आगे बढ़ते हैं।
- शेष ग्रह यानी मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि वक्री और मार्गी दोनों ही तरह से चलते हैं। यानी समय-समय पर इनकी चाल में परिवर्तन होता रहता है।

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हमेशा अशुभ नहीं होता ग्रहों का वक्री होना
- आम लोग ये सोचते हैं कि जब भी कोई ग्रह वक्री यानी टेढ़ी चाल चलता है तो उसका अशुभ फल ही मिलता है, जबकि ऐसा नहीं है। 
- किसी व्यक्ति को वक्री शुभ फल देगा और किसे अशुभ, ये उनकी कुंडली में उस ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है। 
- कई बार ग्रहों के वक्री होने से राजयोग भी बनते हैं। होरासार ग्रंथ के अनुसार, वक्री ग्रह यदि अपने उच्च स्थान में रहते हैं तो शुभ फल देते हैं। 
- वक्री ग्रह उच्च दशा के ग्रह के समान होता है। ऐसा ग्रह शत्रु क्षेत्र या पाप स्थान में रहने पर भी शुभ फल ही देता है। 

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