कालसर्प योग में हुई है साल 2022 की शुरूआत, देश-दुनिया को करना पड़ेगा बड़े संकट का सामना, ये उपाय करें

Published : Jan 06, 2022, 06:22 PM IST
कालसर्प योग में हुई है साल 2022 की शुरूआत, देश-दुनिया को करना पड़ेगा बड़े संकट का सामना, ये उपाय करें

सार

ज्योतिषियों के अनुसार, साल 2022 की शुरूआत कालसर्प योग (kalsarp yoga) में हुई है। इसके कारण कई तरह की परेशानियां इस साल आ सकती है। देश-दुनिया पर भी इसके दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे। इस साल का आरंभ वृश्चिक राशि और कन्या लग्न में हुआ है।

उज्जैन. साल 2022 के शुरुआत में चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में था। कुंडली में बने कालसर्प योग में राहु की नजर भाग्य स्थान पर है। इसके अलावा केतु, चंद्रमा और मंगल के साथ पराक्रम भाव में बैठा है। ग्रहों की इस स्थिति के कारण देश-दुनिया को को किसी बड़े संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं इस साल आ सकती हैं।

कब से कब तक रहेगा ये अशुभ योग?
31 दिसंबर, शुक्रवार की रात कालसर्प योग सुबह 5 बजे से बना है, जिसके चलते साल की शुरूआत इस अशुभ योग में हुई है। 13 जनवरी को ये योग खत्म हो जाएगा और फिर योग 27 जनवरी से पुन: ये योग प्रारंभ हो जाएगा, जो 24 अप्रैल 2022 तक रहेगा। इसके बाद कालसर्प योग पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।

कब बनता है ये अशुभ योग?
ज्योतिषियों के अनुसार काल सर्प योग का निर्माण उस स्थिति में होता है जब सभी 7 मुख्य ग्रह के साथ राहु व केतु के बीच आ जाते हैं. ऐसी स्थिति को कालसर्प योग कहा जाता है। इसमें राहु को सर्प का मुंह व केतु को पूंछ माना गया है। वैसे तो भारतीय संस्कृति में नागों को भगवान का दर्जा दिया गया है और इसे पूजा जाता है, लेकिन फिर भी कई परिस्थियों में कालसर्प योग को शुभ नहीं माना जाता है।

ये उपाय करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है। उन लोगों पर इस योग का अशुभ असर सबसे ज्यादा होगा। ऐसे लोगों को कालसर्प दोष की शांति करानी चाहिए। ऐसे करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। ये उपाय भी कर सकते हैं…
1. हर बुधवार को नागदेवता की प्रतिमा या तांबे के नाम में चंदन या केवड़े के इत्र लगाकर पूजा करनी चाहिए।
2. तांबे के नाग-नागिन की पूजा कर उन्हें बहते हुए पानी में प्रवाहित करें।
3. अगर काल सर्प दोष से पीड़ित है, तो हर सोमवार शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाएं।
4. हर दिन 108 बार ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
5. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और बिल्वपत्र भगवान शिव को अर्पित करें।

 

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