2 से 10 फरवरी तक रहेगी गुप्त नवरात्रि, 19 साल बाद बनेगा सूर्य-शनि का खास योग, मिलेंगी गुप्त सिद्धियां

Published : Jan 30, 2022, 09:47 AM ISTUpdated : Jan 30, 2022, 09:49 AM IST
2 से 10 फरवरी तक रहेगी गुप्त नवरात्रि, 19 साल बाद बनेगा सूर्य-शनि का खास योग, मिलेंगी गुप्त सिद्धियां

सार

माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये बार 2 से 10 फरवरी तक रहेगा। गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) में देवी मां की दस महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए साधनाएं की जाती हैं।

उज्जैन. गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा सामान्य पूजा से अलग होती हैं और इनके नियम भी बहुत सख्त होते हैं। साधना में हुई गलतियों की वजह से साधना का उल्टा असर भी हो सकता है। इसलिए किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की मदद से ही साधनाएं करनी चाहिए। इस दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय व साधनाएं की जाती हैं। प्रमुख तंत्र स्थानों जैसे कामाख्या व तारा पीठ आदि पर तांत्रिकों का जमावड़ा लगता है। 

19 साल बाद बन रहा है ये योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस बार 19 वर्षों के बाद गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) में राहु अपनी मित्र राशि वृषभ में और केतु वृश्चिक राशि में रहेगा। 2022 से पहले 2 फरवरी 2003 से गुप्त नवरात्रि शुरू हुई थी, उस समय भी राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में था। 2022 की माघ नवरात्र में सूर्य-शनि मकर राशि में रहेंगे। मकर शनि के स्वामित्व की राशि है। सूर्य-शनि एक साथ एक ही राशि में होने से साधनाएं जल्दी सफल हो सकती हैं। गुप्त नवरात्रि में विभिन्न कार्यों के लिए माता के विभिन्न रूपों की साधना की जाती है।

एक साल में चार बार आती हैं नवरात्रि
हिन्दी पंचांग के अनुसार एक साल में चार बार नवरात्र आती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में। इनमें से माघ और आषाढ़ माह की नवरात्र गुप्त होती है। गुप्त साधनाओं की साधना के लिए ये नवरात्र श्रेष्ठ होते हैं। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या के लिए साधना की जाती है। इनके नाम हैं- मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी।
इन गुप्त साधनाओं में होने वाली क्रियाएं सामान्य पूजा-पाठ से अलग होती हैं। जानकारी के बिना या योग्य गुरु की शिक्षा के बिना ये साधनाएं को नहीं करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि की साधनाओं में राहु की स्थिति ज्यादा महत्वपूर्ण होती है और राहुकाल के चलते समय कुछ विशेष पाठ करने से लाभ प्राप्त हो सकते हैं।

 

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