Guru Pradosh Vrat 2022: किस दिन किया जाएगा सितंबर 2022 का पहला प्रदोष व्रत? जानें पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

Pradosh Vrat 2022: धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई विशेष व्रतों के बारे में बताया गया है। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है।
 

Manish Meharele | Published : Sep 5, 2022 11:04 AM IST / Updated: Sep 07 2022, 08:45 AM IST

उज्जैन. हिंदू मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस बार 8 सितंबर, गुरुवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी होने से इस दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) किया जाएगा। गुरुवार को होने से ये गुरु प्रदोष ( Guru Pradosh Vrat)  कहलाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त (Guru Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 सितंबर, बुधवार की रात लगभग 12.05 से शुरू होगी, जो 8 सितंबर, गुरुवार की रात लगभग 9 बजे तक रहेगी। चूंकि त्रयोदशी तिथि का सूर्योदय 8 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। गुरुवार को श्रवण नक्षत्र होने से ध्वज और धनिष्ठा होने से श्रीवत्स नाम के 2 शुभ योग इस दिन रहेंगे। इसके अलावा सुकर्मा योग भी इस दिन रहेगा। इस व्रत का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है- शाम 06:35 से रात 08:52 तक।

इस विधि से करें प्रदोष व्रत पूजा (Guru Pradosh Vrat Vidhi)
8 सितंबर, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद शिवजी की पूजा विधि-विधान से करें। पहले शुद्ध जल चढ़ाएं, इसके बाद पंचामृत से अभिषेक करें और दोबारा शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद एक-एक करके बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल, फल, भांग आदि चीजें चढ़ाएं। इस दौरान ऊं नम: शिवायं मंत्र का जाप करते रहें। पूजा करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें। इस तरह गुरु प्रदोष पर इस विधि से पूजा करने से आपकी हर कामना पूरी हो सकती है।

गुरु प्रदोष व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृत्तासुर नाम का एक दैत्य था, उसने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। जब अुसरों की सेना हारने लगी तो वृत्तासुर ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिसे देखकर देवता डर गए और देवगुरु बृहस्पति के पास पहुंचें। देवगुरु ने उन्हें बताया कि “वृत्तासुर पूर्व जन्म में राजा चित्ररथ था। वह शिवजी का परम भक्त था। एक दिन उससे कुछ भूल हो गई, जिसके चलते देवी पार्वती ने उसे राक्षस बनने का श्राप दे दिया, जिसके कारण वह वृत्तासुर बन गया। वो आज भी शिवजी का परम भक्त है। यदि आप सभी देवता गुरु प्रदोष करें तो वृत्तासुर को हरा सकते हैं। देवताओं ने ऐसा ही किया और वृत्तासुर को परास्त कर दिया।

ये भी पढ़ें-

Ganesh Utsav 2022: धन लाभ के लिए घर में रखें गणेशजी की ये खास तस्वीर, जानें ऐसे ही आसान उपाय


Shraddha Paksha 2022: श्राद्ध का पहला अधिकार पुत्र को, अगर वह न हो तो कौन कर सकता है पिंडदान?

Shraddha Paksha 2022: बचना चाहते हैं पितरों के क्रोध से तो श्राद्ध से पहले जान लें ये 10 बातें
 

Share this article
click me!