Mahabharata: महाभारत का युद्ध कुल 18 दिन तक चला। इस दौरान कौरव सेना के कई सेनापति बने, लेकिन पांडवों की ओर से सिर्फ एक सेनापति युद्ध की शुरूआत से अंत तक रहा। ये सेनापति कोई और नहीं बल्कि द्रौपदी का भाई था।
उज्जैन. कुरुक्षेत्र में जब पांडव और कौरवों की सेनाओं में युद्ध हुआ थो कौरवों की ओर से सबसे पहले भीष्म पितामाह (Bhishma Pitamah) को सेनापति बनाया। (Mahabharata) इनके बाद गुरु द्रोणाचार्य (Dronacharya), कर्ण और मद्रदेश के राजा शल्य को। इस तरह 18 दिन तक चले इस युद्ध में कौरवों की सेना में कुल 4 सेनापति बनाए गए। जबकि पांडवों की ओर से सिर्फ एक सेनापति युद्ध के आरंभ से अंत तक रहा। ये सेनापति कौन था, इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं…
ये पराक्रमी योद्धा था पांडवों का सेनापति
महाभारत के अनुसार, जब पांडवों की सेना का सेनापति चुनने की बारी आई तो सभी के अलग-अलग मत थे। कोई शिखंडी को तो किसी अन्य योद्धा को सेनापति बनाना चाहता था। तब अर्जुन ने धृष्टद्युम्न (Dhrishtadyumna) का नाम सूझाया और श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने उन्हें अपना सेनापति बनाना निश्चित किया। धृष्टद्युम्न पांचाल देश के राजा द्रुपद के पुत्र और द्रौपदी के भाई थे।
इस विचित्र तरीके से हुआ था धृष्टद्युम्न का जन्म (Birth Story Of Dhrishtadyumna)
महाभारत के अनुसार, गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों से गुरु दक्षिणा के रूप में राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाने का आदेश दिया। पांडवों ने ऐसा ही किया। इसके बाद राजा द्रुपद अपने अपमान का बदला लेने के लिए एक ऐसा पुत्र चाहने लगे जो द्रोणाचार्य का वध कर सके। इसके लिए उन्होंने एक विशेष यज्ञ करवाया, उसी यज्ञकुंड की अग्नि से धृष्टद्युम्न का जन्म हुआ। जन्म से ही उसके सिर पर मुकुट और शरीर पर कवच था।
जब धृष्टद्युम्न ने किया गुरु द्रोणाचार्य का वध
भीष्म पितामाह के बाद गुरु द्रोणाचार्य को कौरवों का सेनापति बनाया गया। द्रोणाचार्य ने पांडवों की सेना को काफी नुकसान पहुंचाया। उनके ही नेतृत्व में कई बार युधिष्ठिर को बंदी बनाने का प्रयास हुआ और अभिमन्यु का वध भी हुआ। जब किसी भी तरह गुरु द्रोणाचार्य को रोकना असंभव हो गया तो उन्हें अश्वत्थामा की मृत्यु की झूठी खबर दी गई। उसे सच मानकर गुरु द्रोण ने अपने शस्त्र नीचे रख दिए। इसी अवस्था में धृष्टद्युम्न ने गुरु द्रोण का वध कर दिया।
अश्वत्थामा ने दी भयानक मौत
जब पांडवों ने कौरवो से युद्ध जीत लिया तो उसी रात द्रोणपुत्र अश्वत्थामा ने रात्रि के समय पांडवों के शिविर पर हमला कर लिया। उस समय पांडव वहां नहीं थे। अश्वत्थामा ने पांडव पक्ष के अनेक योद्धाओं का सोते हुए ही वध कर दिया। धृष्टद्युम्न भी वहां था, अश्वत्थामा ने धृष्टद्युम्न को नींद से जगाया और कहा “मेरे पिता को निःशस्त्र अवस्था में तुमने हत्या की थी। इसलिये तुम्हारी भी ऐसे ही हत्या होगी।” अश्वत्थामा ने ये बोल कर धृष्टद्युम्न को पीटना शुरू कर दिया। उसके बाद उनका सिर धड़ से अलग कर दिया।
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