शनि, सूर्य और हनुमानजी की पूजा के लिए खास है ज्येष्ठ मास, इसी महीने में श्रीराम से मिले थे हनुमान

हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना ज्येष्ठ (Jyeshtha month 2022) 17 मई से शुरू हो चुका है, जो 14 जून तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में कई बड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं।

Manish Meharele | Published : May 20, 2022 3:17 AM IST

उज्जैन. ज्येष्ठ मास में गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2022), निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) आदि प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। इसी महीने में शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व भी मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। हनुमानजी को भी ये महीना विशेष रूप से प्रिय है। इस महीने में आने वाले प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं और इस दिन हनुमानजी की पूजा व उपाय करने का खास महत्व है। इस महीने में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, इसके शुरूआती 9 दिनों को नौतपा कहते हैं। इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है। आगे जानिए ज्येष्ठ मास से जुड़ी कुछ खास बातें…

सूर्य पूजा के लिए खास है ये महीना
ज्योतिषियों के अनुसार, मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है। उसके पांच महीने बाद सूर्य का उत्तरकाल माना जाता है। इस समय ज्येष्ठ मास रहता है। इसे देवताओं का दिन भी माना जाता है। यही कारण है कि इस महीने में किए गए दान, पूजा और उपायों की फल कई गुना होकर मिलता है। इस महीने गभस्तिक (सूर्यदेव का एक रूप) सूर्य की पूजा करने से गरीबी दूर होती है और सेहत भी ठीक रहती है।

इस महीने के मंगलवार को कहते हैं बड़ा मंगल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ज्येष्ठ मास के स्वामी मंगलदेव है। इसलिए इस महीने में आने वाले हर मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है और इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा व उपाय किए जाते हैं। कुछ स्थानों पर इस दिन विशेष अनुष्ठान करने की परंपरा भी है। ज्येष्ठ मास के मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करने से मंगल ग्रह से संबंधित दोष भी दूर होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास में ही भगवान श्रीराम की पहली मुलाकात ज्येष्ठ मास में हुई थी। 

शनि देव का जन्म भी इसी महीने में 
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 मई, सोमवार को है। मान्यता है कि इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन प्रमुख शनि मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और लोग साढ़ेसाती व ढय्या के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए खास उपाय भी करते हैं।

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