Aaj Ka Panchang 8 मई 2022 का पंचांग: रविवार को गंगा सप्तमी पर पुष्य नक्षत्र में होगा सूर्योदय

8 मई 2022, दिन रविवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन गंगा सप्तमी का त्योहार मनाया जाएगा।

Manish Meharele | / Updated: May 08 2022, 05:30 AM IST

भारतीय ज्योतिष शास्त्र बहुत ही विस्तृत है। इसमें ग्रह, नक्षत्रों के साथ और भी कई जानकारियां उपलब्ध हैं। ज्योतिष शास्त्र  के आधार पर ही पंचांग का निर्माण किया जाता है। हर साल का नया पंचांग बनाया जाता है, जिसमें हर दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल आदि की संपूर्ण जानकारी दी जाती है। ज्योतिष और पंडित आदि सभी शुभ कामों के लिए मुहूर्त देखने के लिए पंचांग का ही उपयोग करते हैं। पंचांग वैदिक काल से ही सनातन धर्म में काल गणना का एक प्रमुख अंग रहा है। वैसे तो हमारे देश में कई तरह के पंचांग प्रचलित है जैसे शक, युधिष्ठिर आदि, लेकिन उन सभी में विक्रम पंचांग प्रमुख है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बनता है ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग। इन सभी के योग से एक सटीक पंचांग तैयार किया जाता है जो बहुत उपयोगी होता है। आगे जानिए पंचांग से जुड़ी खास बातें…

ये हैं पंचांग के 5 प्रमुख अंग…

नक्षत्र: ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ये 27 नक्षत्र ही दक्ष प्रजापति की पुत्रियां हैं, जिनका विवाह चंद्रमा के साथ हुआ था। इन नक्षत्रों के नाम इस प्रकार है- अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।

करण: ज्योतिष शास्त्र में कुल 11 करण बताए गए हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। ये तिथि का आधा भाग होता है। इस समय 8 से 12 घंटे तक हो सकता है।

वार: एक सप्ताह में सात वार होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और रवि। 

योग: नक्षत्र की ही तरह योग भी 27 होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

तिथि: चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक तिथि 19 से 24 घंटे तक की हो सकती है। तिथि कुल 16 होती है प्रतिपदा से चतुर्दशी तक 14 और पूर्णिमा व अमावस्या।

8 मई का पंचांग (Aaj Ka Panchang 6 May 2022)
8 मई 2022, दिन रविवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन गंगा सप्तमी का त्योहार मनाया जाएगा। रविवार को सूर्योदय पुष्य नक्षत्र में होगा, जो सुबह 11.37 तक रहेगा। इसके बाद अश्लेषा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। रविवार को पहले पुष्य नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का शुभ योग और बाद में अश्लेषा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल शाम 05:16 से 06:53 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें। 

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
रविवार को चंद्रमा कर्क में,  शुक्र और गुरु मीन राशि में, बुध ग्रह वृषभ राशि में, सूर्य और राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में और मंगल कुंभ राशि में और शनि कुंभ राशि में रहेगा। रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।

8 मई के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- वैशाख
पक्ष- शुक्ल
दिन- रविवार
ऋतु- ग्रीष्म
तिथि- सप्तमी शाम 05:00 बजे तक, इसके बाद अष्टमी
नक्षत्र- पुष्य और अश्लेषा
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय- 5:53 AM
सूर्यास्त- 6:53 PM
चन्द्रोदय- 11:33 AM
चन्द्रास्त- 1:18 AM 
अभिजीत मुहूर्त- 11:57 AM से 12:49 PM

8 मई का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड- 12:23 PM – 02:01 PM
कुलिक- 03:38 PM – 05:16 PM
दुर्मुहूर्त- 05:09 PM – 06:01 PM
वर्ज्यम्- 04:55 AM – 06:40 AM 


परमाणु से शुरू होती है कालगणना?
वायु पुराण के अनुसार, दो परमाणु मिलकर एक अणु बनाते हैं। तीन अणुओं का एक त्रसरेणु बनता है। तीन त्रसरेणुओं से एक त्रुटि, 100 त्रुटियों से एक वेध, तीन वेध से एक लव तथा तीन लव से एक निमेष (क्षण) बनता है। इसी प्रकार तीन निमेष से एक काष्ठा, 15 काष्ठा से एक लघु, 15 लघु से एक नाडिका, दो नाडिका से एक मुहूर्त, छह नाडिका से एक प्रहर तथा आठ प्रहर का एक दिन और एक रात बनते हैं। एक मास में 15-15 दिन के दो पक्ष होते हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। वर्ष में भी छह-छह माह के दो अयन माने गए हैं- उत्तरायण तथा दक्षिणायन। 

जानिए कितनी है सृष्टि की कुल आयु?
भारत में सबसे पुराना संवत्सर, सृष्टि-संवत्सर माना गया है। इसका प्रारंभ सृष्टि के निर्माण से हुआ और सृष्टि के अंत के साथ ही इस संवत्सर का भी अंत होगा। यही सृष्टि-संवत्सर, एक कल्प का ब्रह्मा का एक दिन माना गया है। सृष्टि संवत्सर की पूरी गणना प्राचीन ग्रंथों में दी हुई है। उसके अनुसार 2005 में सृष्टि और उसके साथ सूर्य को बने 1,96,08,53,105 मानव वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। सृष्टि की कुल आयु 4320000000 वर्ष मानी गई है। इसमें से वर्तमान आयु निकालकर सृष्टि की शेष आयु 2,35,91,46,895 वर्ष है। इसके बाद महाप्रलय निश्चित है। 
 

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