Karva Chauth 2022: करवा चौथ पर श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा और चौथ माता की पूजा भी जाती है। ये तीनों देवी-देवता वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं। इसलिए ये महिलाओं के सबसे प्रिय त्योहारो में से एक है।
उज्जैन. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ (Karva Chauth 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये त्योहार 13 अक्टूबर, गुरुवार को है। ये त्योहार हजारों सालों से मनाया जा रहा है। कई धर्म ग्रंथों में भी इसके बारे में बताया गया है। इस दिन महिलाएं दिन भर कुछ भी खाती-पीती नहीं हैं। शाम को पूजा के बाद ही ये व्रत पूर्ण होता है। नवविवाहिताओं को इस व्रत का खासा इंतजार रहता है, लेकिन इस बार नवविवाहिता ये व्रत न करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा, ऐसा सिर्फ एक ग्रह के अस्त होने के कारण होगा। आगे जानिए कौन-सा है वो ग्रह…
शुक्र ग्रह का अस्त होना दोष
- पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, नवग्रहों में शुक्र का विशेष स्थान है। किसी भी मांगलिक कार्य से पहले शुक्र की स्थिति जरूर देखी जाती है। वर्तमान में ये ग्रह 2 अक्टूबर से अस्त है।
- शुक्र ग्रह की ये स्थिति 20 नवंबर तक रहेगी। इस करवा चौथ के दौरान भी ये ग्रह अस्त ही रहेगा। मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार, शुक्र ग्रह के अस्त होने पर नवविवाहिताओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए।
- शुक्र ग्रह के अस्त होने पर पहली बार करवा चौथ का व्रत करना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए लड़कियों का विवाह अभी हुआ है, वे करवा चौथ का व्रत इस साल न करते हुए अगले साल से शुरू करें।
- जो महिलाएं पहले से करवा चौथ का व्रत करती आ रही हैं, वे महिलाएं इस साल भी बिना किसी संकोच के व्रत कर सकते हैं। इस बार गुरु स्वराशि में होने से उन्हें इस व्रत का विशेष लाभ मिलेगा।
पति-पत्नी के अमर प्रेम का प्रतीक है ये पर्व
करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है जो पति-पत्नी के बीच होता है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत रख पत्नी अपने पति के प्रति यही भाव प्रदर्शित करती है। स्त्रियां श्रृंगार करके ईश्वर के समक्ष दिनभर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती हैं कि वे मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी।
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