ग्रहों को अनुकूल बनाने और लाभ प्राप्त करने के लिए ज्योतिष में कई रत्नों के बारे में बताया गया है। इन्हें धारण करने से परेशानियों से छुटकारा तो मिलता ही है साथ ही कई सकारात्मक परिवर्तन भी आते हैं।
उज्जैन. रत्न धारण करने से पहले कुछ बातों को ध्यान रखना बहुत ही जरुरी होता है। ऐसा न करने पर फायदा होने के स्थान पर नुकसान भी हो सकता है। आगे जानिए रत्न धारण करते समय किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है…
1. यदि कोई ग्रह अशुभ फल प्रदान कर रहा है या फिर आप जीवन में तरक्की, सफलता की कामना से रत्न धारण करना चाहते हैं तो किसी योग्य ज्योतिष से सलाह लेकर ही धारण करें।
2. हर रत्न हर राशि के व्यक्ति को अनुकूल प्रभाव नहीं दिखाता है। यदि आप अपनी राशि या ग्रह के अनुसार रत्न धारण नहीं करते हैं तो इससे आपको फायदे के स्थान पर प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिल सकता है।
3. रत्न धारण करने के लिए सुबह 6 से 8 बजे तक का समय उत्तम माना जाता है, लेकिन यदि आपको कोई रत्न धारण करना है तो किसी माह के शुक्ल पक्ष में शुभ मुहूर्त में ही धारण करें।
4. इसके साथ ही रत्न खरीदते समय भी शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। प्रत्येक रत्न को पहनने के लिए दिन भी निर्धारित होते हैं। उसी के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए। जैसे माणिक्य रत्न रविवार को, मोती रत्न सोमवार को, पुखराज रत्न गुरुवार को, मूंगा रत्न मंगलवार को, पन्ना रत्न बुधवार को, नीलम, गोमेद व लहसुनिया रत्न शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है।
5. जब कोई भी रत्न धारण किया जाता है तो उसे किसी न किसी धातु में जड़वाकर अंगूठी या फिर लॉकेट के रुप में पहनते हैं। यदि रत्न का भरपूर लाभ लेना चाहते हैं तो उसे संबंधित धातु में ही जड़वाकर पहनना चाहिए। जैसे मोती को चांदी धातु में तो वहीं पुखराज को सोने में धारण करना शुभ रहता है।
6. यदि आपने एक से अधिक रत्न धारण किए हुए हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि वे रत्न परस्पर शत्रु भाव की राशि के नहीं होने चाहिए। इससे आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपके जीवन की समस्याएं दूर होने के बजाए बढ़ सकती हैं।
7. रत्न हमेशा सवा या इससे ऊपर के वजन का ही रत्न खरीदना सही रहता है। आप अपने रत्न के अनुसार ज्योतिष से सलाह लेकर सवा चार रत्ती, सवा पांच रत्ती, सवा नौ रत्ती आदि का रत्न धारण कर सकते हैं।
8. यदि आप कोई भी रत्न खरीदने जा रहे हैं तो उसे भलिभांति जांचना बहुत आवश्यक होता है। रत्न खरीदते समय ही देख लें कि कहीं से चटका हुआ या फिर दागदार रत्न नहीं होना चाहिए। ऐसा रत्न धारण करने से से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।
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