खर मास 16 दिसंबर से, इस महीने में करें नदी स्नान, मंत्र जाप और इन देवताओं की पूजा

16 दिसंबर, गुरुवार को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। धनु राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं। बृहस्पति सूर्यदेव के भी गुरु हैं। उनकी राशि में सूर्य के प्रवेश करने का अर्थ यह है कि सूर्य देव अब एक माह तक अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहेंगे। इस माह को खरमास (Khar Maas 2021) कहा जाता है।

उज्जैन. खर माह में विवाह जैसे मांगलिक कर्म न करने की परंपरा है। खरमास में मंत्र जाप, दान और नदी में स्नान आदि शुभ काम करने का विशेष महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मांगलिक कार्यों में देवी-देवताओं के साथ ही ग्रहों की भी विशेष पूजा की जाती है। किसी भी मांगलिक कर्म में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की शुभ स्थिति यानी उनकी शक्ति को भी देखा जाता है।

साल में 2 बार आता है खरमास
खरमास में सूर्य और गुरु, ये दोनों ग्रह कमजोर हो जाते हैं। साल में दो बार खरमास आता है। पहला सूर्य जब धनु राशि में रहता है और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में रहता है। खरमास में बृहस्पति अस्त रहता है, इस वजह से ये ग्रह कमजोर हो जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास खत्म हो जाता है और मांगलिक कर्म फिर से शुरू हो जाते हैं।

इस महीने में कौन-से काम करना चाहिए
- सूर्य जब तक धनु राशि में रहता है, तब तक ठंड का असर काफी अधिक रहता है। इन दिनों में तिल-गुड़ का सेवन विशेष रूप से करना चाहिए। तिल-गुड़ की वजह से शरीर को ठंड से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- इस माह में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य पूजा करें। तांबे के लोटे में जल भरें, फूल और चावल डालकर सूर्य को चढ़ाएं। अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कंबल, गुड़, तिल का दान करें। अपनी शक्ति के अनुसार किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।
- खरमास में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार रोज करना चाहिए। अगर आप शिव जी को इष्टदेव मानते हैं तो शिवलिंग पर जल चढ़ाकर, हार-फूल अर्पित करें। भोग लगाएं। दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। 
- जो लोग हनुमान जी की पूजा करना चाहते हैं, वे भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं। 
- गणेश जी की पूजा करना चाहते हैं तो गणपति जी को दूर्वा चढ़ाएं और धूप-दीप जलाकर श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं। 
- जो लोग कृष्ण भगवान की भक्ति करना चाहते हैं, वे कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। विष्णु जी के लिए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
- खरमास में पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए।

 

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