Mahashivratri 2022: कब है भगवान शिव का प्रिय महाशिवरात्रि पर्व, इस बार बनेंगे कौन-से शुभ योग?

धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 मार्च, मंगलवार को है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हिंदू धर्म में मानी जाती हैं।

उज्जैन. ज्योतिषियों की मानें तो इस बार महाशिवरात्रि पर्व पंचग्रही योग में मनाया जाएगा। इस पंचग्रही योग का असर देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा।  उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, 1 मार्च को बुध, शुक्र, मंगल, शनि और चंद्र मकर राशि में रहेंगे। सूर्य-गुरु कुंभ राशि में रहेंगे। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) मंगलवार को होने से इस वार का कारक ग्रह मंगल मकर में उच्च का रहेगा। शनि खुद की मकर राशि में रहेगा। बुध-शुक्र भी मित्र राशि में रहेंगे। ग्रहों की युति का असर सभी को किसी न किसी रूप में प्रभावित करेगा।

इन ग्रहों की युति से बनेगा विष योग
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार, मकर राशि में चंद्र और शनि का योग होने से विषयोग बनेगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। महाशिवरात्रि पर बन रहे इन योगों की वजह से मंहगाई में बढ़ोतरी हो सकती है, देश की सीमा पर तनाव जैसे हालात बन सकते हैं, प्रकृतिक घटनाएं होने की संभावनाएं बन रही हैं। जनता में सरकार के लिए असंतोष रहेगा।

क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि?
पं. शर्मा के मुताबिक शिवपुराण में बताया गया है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की रात में भगवान शिव अग्रि स्तंभ के रूप में ब्रह्मा जी और विष्णु जी के सामने प्रकट हुए थे। उस समय आकाशवाणी हुई थी कि इस तिथि की रात में जागकर जो भक्त मेरे लिंग रूप का पूजन करेगा, वह अक्षय पुण्य प्राप्त करेगा।
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। शिव-पार्वती जी के विवाह के संबंध में शिवपुराण में लिखा है कि शिव-पार्वती विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार को हुआ था। उस समय चंद्र, बुध लग्र में थे और रोहिणी नक्षत्र था। शिव जी और माता सती का विवाह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था।

Latest Videos

क्या है शिव शब्द का अर्थ?
उच्चारण में अत्यंत सरल शिव शब्द की उत्पत्ति वश कान्तौ धातु से हुई है। इसका अर्थ यह है कि जिसे सभी प्रेम करते हैं, सभी चाहते हैं, वह शिव हैं, सभी आनंद चाहते हैं यानी शिव का एक अर्थ आनंद भी है। भगवान शिव का एक नाम शंकर भी है। शं का अर्थ है आनंद और कर शब्द का अर्थ है करने वाला। शंकर शब्द का अर्थ है आनंद करने वाला यानी आनंद देने वाले ही शंकर हैं।

ये भी पढ़ें...

Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि 1 मार्च को, पहले लें संकल्प फिर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त

20 फरवरी से 13 अप्रैल तक नहीं होंगी शादियां, गुरु ग्रह की वजह से बढ़ सकता है कुछ लोगों का तनाव

फरवरी के अंतिम दिनों में गुरु होगा अस्त और शनि उदय, ये 2 ग्रह बदलेंगे राशि, ऐसा होगा आपकी राशि पर असर

14 से 20 फरवरी के बीच मांगलिक कार्यों के लिए कब-कब हैं शुभ मुहूर्त? जानिए इस सप्ताह के व्रत-त्योहार

Share this article
click me!

Latest Videos

ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
ठिकाने आई Bangladesh की अक्ल! यूनुस सरकार ने India के सामने फैलाए हाथ । Narendra Modi
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News