सार
मांगलिक कार्यों पर जल्दी ही रोक लगने वाली है। ऐसा गुरु के अस्त होने से और उसके बाद मीन मास शुरू होने के चलते होगा। यानी 20 फरवरी से बंद हुए मांगलिक कार्य इसके बाद 14 अप्रैल से ही शुरू हो सकेंगे।
उज्जैन. गुरु के अस्त होने का असर सभी राशियों पर दिखाई देगा। 23 फरवरी से 23 मार्च तक जिस राशि पर गुरु की शुभ दृष्टि होगी उस राशि के लोगों को फायदा होगा। जिस राशि के लोगों पर मध्य दृष्टि होगी, उन्हें मध्यम और जिन राशियों पर निम्न दृष्टि रहेगी, उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि वे किसी वजह से तनाव में आकर गलत फैसला ले सकते हैं।
14 अप्रैल के बाद शुरू होंगे मांगलिक कार्य
मकर संक्रांति के बाद शुरू हुआ मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त 20 फरवरी से थम जाएंगे। क्योंकि 23 मार्च को गुरु अस्त हो जाएगा। हालांकि गुरु का उदय 23 मार्च को हो जाएगा, लेकिन तक तक सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर चुका होगा, जिसके चलते मीन मल मास शुरू हो जाएगा, जो 14 अप्रैल तक रहेगा। इस दौरान भी विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर रोक लगी रहेगी। 14 अप्रैल के बाद एक बार पुन: मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो सकेगी।
क्यों अस्त हुआ गुरु?
13 फरवरी, रविवार की सुबह सूर्य राशि बदलकर मकर से कुंभ में आ चुका है। इस राशि में पहले से ही गुरु स्थित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस ग्रह के निकट सूर्य आ जाता है, वह अस्त हो जाता है या यूं कहा जाए कि उसकी शक्ति कम हो जाती है। सूर्य के तेज के सामने आए ग्रह की शक्ति कमजोर हो जाने से उस ग्रह से संबंधित कारक तत्व भी असरकारी नहीं रहते। गुरु शुभ कार्यों के प्रतीक हैं, इसलिए उनके अस्त होते ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।
धनु और मीन राशि के स्वामी है गुरु
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु हैं। गुरु कर्क राशि में उच्च के और मकर में नीच के होते हैं। यह पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं। गुरु की तीन दृष्टियां होती हैं- पांचवी, सातवीं और नौवीं। देवगुरु की जहां पर दृष्टि पड़ती है, वहां शुभता आती है। देवगुरु बृहस्पति का अस्त होना सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर रुकावट डालता है।
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