महाशिवरात्रि पर 5 ग्रह एक ही राशि में और 6 राजयोग भी, सालों में एक बार बनता है ये दुर्लभ संयोग

1 मार्च, मंगलवार को भगवान शिव का प्रिय त्योहार महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) मनाया जाएगा। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने लिंग रूप में प्रकट होकर विष्णुजी और ब्रह्माजी की परीक्षा ली थी। बाद में इन दिनों देवताओं ने लिंग रूपी शिव का पूजन किया था। तभी से इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

उज्जैन. महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) पर्व पर दिनभर तो शिव पूजा होती ही है, लेकिन ग्रंथों में रात में पूजा करने का खास महत्व बताया गया है। इस पर्व से जुड़ी मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात 4 प्रहरों में शिवजी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस तिथि पर भगवान शिव लिंग के रूप में रात में ही प्रकट हुए थे, इससे जाने-अनजाने हुए पाप और दोष खत्म हो जाते हैं। अकाल मृत्यु नहीं होती और उम्र भी बढ़ती है।

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महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat of Mahashivratri 2022)
- पहले प्रहर की पूजा शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट के बीच की जाएगी 
- दूसरे प्रहर की पूजा रात 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट के बीच 
- तीसरे प्रहर की पूजा रात 12:33 मिनट से सुबह 3:39 बजे के बीच 
- चौथे प्रहर की पूजा 3:39 मिनट से 6:45 मिनट के बीच की जाएगी

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अन्य शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11.47 से दोपहर 12.34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसके बाद दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 तक विजय मुहूर्त रहेगा। पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं।

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दुर्लभ ग्रह स्थिति और पांच राजयोग
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर शिव योग बन रहा है। साथ ही शंख, पर्वत, हर्ष, दीर्घायु और भाग्य नाम योग भी बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी को राजयोग कहा गया है, साथ ही इस दिन मकर राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और शनि रहेंगे। इन ग्रहों के एक राशि में होने से पंचग्रही योग बन रहा है। वहीं, इस महा पर्व पर कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनना भी शुभ रहेगा। महाशिवरात्रि पर इतने सारे राजयोग और सितारों की ऐसी स्थिति पिछले कई सालों में नहीं बनी। इसे दुर्लभ योग कहा जा सकता है।

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शिव पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री
फूल, फल, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, आदि

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इस विधि से करें व्रत-पूजा (Worship method of Mahashivratri 2022)
- महाशिवरात्रि की सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प ले, जिस तरह का व्रत आप करना चाहते हैं जैसे निर्जला (बिना कुछ खाए-पिए) या एकभुक्त (एक समय भोजन करने का)। 
- इसके बदा सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं। भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें। इसके बाद मौली, गंध, रोली, धतूरा, भांग, बेर, मंदार के फूल आदि चीजें चढ़ाएं।
- अंत में भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस व्रत में सुबह-शाम नहाने के बाद शिव मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए।

पूजा के मंत्र
1. ॐ नम: शिवाय
2. ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षिय मामृतात्।। ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
 

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