Mauni Amavasya 2022: मौनी अमावस्या 1 फरवरी को, जानिए शुभ मुहूर्त और इस दिन कौन-से काम करने चाहिए

Published : Jan 23, 2022, 05:23 PM IST
Mauni Amavasya 2022: मौनी अमावस्या 1 फरवरी को, जानिए शुभ मुहूर्त और इस दिन कौन-से काम करने चाहिए

सार

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इसे पितरों की तिथि कहा जाता है। ये तिथि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन आती है। यानी एक साल में 12 अमावस्या होती है। इन सभी में माघ मास की अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है।

उज्जैन. माघ मास की अमावस्या को माघी अमावस्या व मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या 1 फरवरी, मंगलवार को है। मौनी अमावस्या के दिन विधि-विधान से भगवान का पूजन करते हैं, लेकिन इस दिन पूजा-पाठ के भी कुछ नियम होते हैं। आगे जानिए मौनी अमावस्या के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत के नियम के बारे में…  

मौनी अमावस्या 2022 तिथि और मुहूर्त 
मौनी अमावस्या की तिथि आरंभ: 31 जनवरी, सोमवार, रात्रि  02: 18 मिनट से 
मौनी अमावस्या की तिथि समाप्त: 01 फरवरी,मंगलवार प्रातः 11: 15 मिनट तक

मौनी अमावस्या का महत्व
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विधान है। इसके उपरांत व्रत किया जाता है। मौनी अमावस्या के दिन लोग मौन व्रतधारण करते हैं। मौन व्रत के दौरान लोग प्रभु की भक्ति में लीन रहते हैं, ध्यान लगाते हैं। ऐसा करके भक्त आध्यात्म की ओर बढ़ते हैं। मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं। यदि कोई व्यक्ति पितृ दोष से ग्रसित है तो उन्हें अमावस्या के दिन ये सब उपाय करने चाहिए। 

मौनी अमावस्या के व्रत नियम 
1.
ब्रह्ममुहूर्त या शाम को स्नान के पहले व्रत का संकल्प लें। 
2. ब्रह्ममुहूर्त में गंगा नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करें। 
3. स्नान करने के उपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण करें और जल में काले तिल सूर्य देव को अर्घ्य दें। 
4. सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत मंत्र जाप करें और दान आदि करें। 
5. श्रद्धालु अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन दान कर सकते हैं।
6. मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखकर यदि संभव हो मौन व्रत धारण करें। 
7. मौनी अमावस्या के दिन क्रोध न करें। किसी को अपशब्द न कहें। 
8. मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं को ईश्वर की भक्ति में लीन रहना चाहिए।  

 

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