Budh Vakri 2022: बदलने वाली है बुध ग्रह की चाल, 10 मई को वक्री और 13 को अस्त हो जाएगा ये ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह एक निश्चित समय पर राशि बदलता है और वक्री व मार्गी भी होता है। ग्रहों का वक्री होना एक साधारण घटना है, लेकिन इसका प्रभाव सभी राशि के लोगों पर दिखाई देता है।

Manish Meharele | Published : May 5, 2022 6:51 AM IST

उज्जैन. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रह वक्री होते हैं। राहु-केतु तो हमेशा वक्री अवस्था में ही रहते हैं। ग्रहों के वक्री होने का अर्थ है ग्रहों का उल्टी दिशा में गति करना। लेकिन वास्तव में कोई भी ग्रह कभी भी पीछे की ओर नहीं चलता, ये एक भ्रम मात्र है। घूमती हुई पृथ्वी से ग्रह की दूरी और उस ग्रह की अपनी गति के अंतर के कारण ग्रहों का उलटा चलना प्रतीत होता है। इसे ही ग्रहों का वक्री होना कहा जाता है। इस बार 10 मई, मंगलवार को बुध ग्रह वक्री (Budh Vakri 2022) होने वाला है। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…

ऐसी रहेगी बुध की स्थिति
ज्योतिषियों के अनुसार बुध ग्रह 25 अप्रैल को राशि परिवर्तन कर मेष से वृषभ में आया है। 10 मई को बुध इसी राशि में वक्री होगा और 3 जून तक इसी अवस्था में रहेगा यानी टेढ़ी चाल चलेगा। वक्री होने के 3 दिन बाद ही यानी 13 मई को बुध ग्रह अस्त हो जाएगा, बुध ग्रह की ये अवस्था 9 जून तक रहेगी। बुध ग्रह वृषभ राशि में 2 जुलाई तक यानी 68 दिन तक रहेगा। सीधी भाषा में कहा जाए तो वृषभ राशि में 68 दिन रहते हुए बुध 24 दिन वक्री और 27 दिन तक अस्त रहेगा। वैसे तो बुध ग्रह हर 21 दिन में राशि बदलता है लेकिन कभी-कभी इसका समय बढ़ जाता है। बुध ग्रह की इस अवस्था को अतिचारी कहते हैं।

ज्योतिष में बुध ग्रह
1. ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को एक शुभ फल देने वाला ग्रह माना गया है। ये जिस ग्रह के साथ युति बनाता है, उसी के अनुरूप फल प्रदान करता है। 
2. यदि बुध ग्रह शुभ ग्रहों जैसे गुरु, शुक्र और चंद्रमा के साथ हो तो शुभ फल देता है और क्रूर ग्रहों जैसे मंगल, केतु, शनि और राहु के साथ हो तो अशुभ फल देता है। 
2. बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। कन्या में ये ग्रह उच्च के फल देता है और मीन में नीच स्थिति के। 
4. अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों के स्वामी भी बुध ही हैं। सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र हैं। चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं। 
5. धर्म ग्रंथों के अनुसार बुध के पिता चंद्रदेव और माता तारा हैं। बुध से शुभ फल प्राप्त करने के लिए पन्ना रत्न पहना जाता है।


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