अप्रैल का अंतिम सप्ताह रहेगा खास, 3 ग्रह बदलेंगे राशि, सूर्यग्रहण और शनिश्चरी अमावस्या का योग भी बनेगा

अप्रैल 2022 का अंतिम सप्ताह ज्योतिषिय दृष्टिकोण से बहुत ही खास रहने वाला है क्योंकि इस सप्ताह में 3 ग्रह एक के बाद एक राशि बदलेंगे। वहीं महीने के अंतिम दिन शनिश्चरी अमावस्या के साथ ही सूर्यग्रहण का योग भी बन रहा है। ऐसा संयोग बहुत कम बार बनता है जब शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्यग्रहण हो।

उज्जैन. ज्योतिषियों के अनुसार सबसे पहले 25 अप्रैल को बुध ग्रह राशि बदलेगा, इसके बाद 27 अप्रैल को शुक्र और 29 अप्रैल को शनि राशि बदलेगा। इन ग्रहों के लगातार बदलने से देश-दुनिया के साथ-साथ सभी लोगों पर भी इसका असर दिखाई देगा। कुछ लोगों के लिए ग्रहों का ये राशि परिवर्तन शुभ तो कुछ के लिए अशुभ साबित होगा। वहीं सूर्यग्रहण भारत में दिखाई न देने से यहां इसका कोई महत्व नहीं माना जाएगा।

ऐसे होगा ग्रहों का राशि परिवर्तन
- पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, अप्रैल 2022 के अंतिम सप्ताह के पहले ही दिन यानी 25 अप्रैल को बुध ग्रह मेष राशि से निकलकर वृष में प्रवेश करेगा। आमतौर पर ये ग्रह 21 दिन में राशि बदलता है, लेकिन इस बार ये ग्रह 68 दिनों तक वृषभ राशि में रहेगा। इसे अतिचारी अवस्था कहते हैं।
-  इसके बाद यानी 27 अप्रैल को शुक्र ग्रह कुंभ से निकलकर मीन में आ जाएगा। ये शुक्र की उच्च राशि है यानी इस राशि में शुक्र का फल और अधिक बढ़ जाता है। इस राशि में गुरु पहले से ही स्थित है। इस तरह मीन राशि में शुक्र और गुरु का योग बन जाएगा।
- फिर 29 अप्रैल को शनि मकर से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा। ये शनि के स्वामित्व की राशि है। कुंभ राशि में शनि 74 दिन रहने के बाद वक्री होकर फिर से मकर राशि में आ जाएगा।

ऐसा होगा देश-दुनिया पर ग्रहों का असर
- ज्योतिषियों के अनुसार बुध, शुक्र और शनि के लगातार राशि बदलने से मौसम में अचानक बदलाव देखने को मिल सकता है। कुछ स्थानों पर बारिश होगी तो कहीं भीषण गर्मी का अहसास होगा।
- बिजनेस के क्षेत्र में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। शेयर मार्केट में भी बड़ा उलटफेर हो सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नई योजनाएं आ सकती हैं, जिससे विद्यार्थियों को फायदा होगा। धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर कोई बड़ा विवाद सामने आ सकता है।
- कुछ स्थानों पर विवाद की स्थिति बन सकती है। कुछ मुद्दे देश-दुनिया में चर्चा का विषय हो सकते हैं। कुछ मामलों में कोर्ट को हस्तक्षेप करना होगा। देश-दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं आने का खतरा बना रहेगा।

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