अमावस्या की रात को श्मशान या कब्रिस्तान के पास से नहीं गुजरना चाहिए, जानिए क्यों?

हिंदू पंचांग के अनुसार एक महीने में दो पक्ष होते हैं कृष्ण व शुक्ल। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : May 20, 2020 6:47 PM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व है। इस पितरों की तिथि भी कहा जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष काम करने की मनाही है। जानिए कौन-से हैं वो काम-

1. अमावस्या पितरों की तिथि है। इस दिन देर तक नहीं सोना चाहिए। बल्कि जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान आदि करना चाहिए।
2. अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां ज्यादा सक्रिय रहती हैं। जो कमजोर इच्छाशक्ति वाले रहते हैं या जिनकी कुंडली में ग्रहण योग होता है, वे नकारात्मकता के प्रभाव में जल्दी आ जाते हैं। इसीलिए इस रात में श्मशान या किसी भी सुनसान जगह पर जाने से बचना चाहिए।
3. अमावस्या पर पति-पत्नी को दूरी बनाकर रखना चाहिए। इस रात में बने संबंध से जो संतान पैदा होती है, उसका जीवन सुखी नहीं रह पाता है।
4. अमावस्या पर घर में पितर देवताओं का आगमन होता है, इस कारण घर में शांति बनाए रखना चाहिए। इस दिन वाद-विवाद न करें, अगर घर में अशांति होगी तो पितर देवताओं की कृपा नहीं मिल पाएगी।
5. अमावस्या पर महिलाओं को बाल खुले नहीं रखना चाहिए। इससे वे निगेटिव एनर्जी के संपर्क में आ सकती हैं। साथ ही इस दिन परफ्यूम आदि का उपयोग भी करने से बचना चाहिए।
 

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