Pithori Amavasya 2022: पिथौरी अमावस्या 27 अगस्त को, इस दिन करते हैं देवी दुर्गा की पूजा, जानिए विधि और महत्व

Pithori Amavasya 2022: हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हर महीने के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन ये तिथि आती है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या होती हैं। इनमें से कुछ अमावस्या बहुत ही खास होती है जैसे पिथौरी अमावस्या।
 

Manish Meharele | Published : Aug 26, 2022 7:50 AM IST

उज्जैन. पंचांग के अनुसार, एक साल में 12 अमावस्या तिथि होती है। इनमें से भाद्रपद मास की अमावस्या कुशग्रहणी अमावस्या (Kushgrahani Amavasya 2022) कहते हैं। महाराष्ट्र में इसे पिथौरी अमावस्या (Pithori Amavasya 2022) भी कहते हैं। कुछ स्थानों पर इसे पोला पिथौरा का नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये तिथि 27 अगस्त, शनिवार को है। शनिवार को अमावस्या होने से ये शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) भी कहलाएगी। भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस अमावस्या से जुड़ी विभिन्न परंपराएं निभाई जाती हैं। आज हम आपको पिथौरी अमावस्या के बारे में बता रहे हैं…

जानिए पिथौरी अमावस्या का महत्व (Significance of Pithori Amavasya)
मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने स्वयं इस व्रत का महत्व देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी को बताया था। इस व्रत के शुभ प्रभाव से संतान प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर, दान और पितरों के लिए तर्पण को शुभकारी और मंगलकारी माना जाता है। पिथौरी अमावस्या पर देवी दुर्गा की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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ये है पिथौरी अमावस्या की पूजा विधि (Worship method of Pithori Amavasya)
- पिथौरी अमावस्या का व्रत सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही करती हैं। कुंवारी लड़कियां ये व्रत नहीं कर सकती। व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन सुबह उठकर स्नान करें। संभव हो तो पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। 
- इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। पीठ का मतलब होता है आटा। इस व्रत में आटे से देवियों की 64 प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। इसके बाद उनकी पूजा की जाती है और उन  मूर्तियों को बेसन से बनी श्रृंगार सामग्री जैसे हार, मांग टीका, चूड़ी आदि चीजें चढ़ाई जाती हैं। 
- इन देवियों को गुझिया, शक्कर पारे और मठरी आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। पूजा के बाद परिवार के बड़े लोगों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। पंडितजी को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इस तरह पिथौरी अमावस्या पर व्रत-पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं।


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