Kamika Ekadashi 2022: कामिका एकादशी व्रत से मिलते हैं शुभ फल, इस बार कब किया जाएगा? जानिए तारीख और महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने की दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और पूजा की जाती है, इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। हर एकादशी की पूजा विधि में थोड़ी भिन्नता जरूर होती है लेकिन उद्देश्य एक ही होता है भगवान विष्णु की कृपा पाना।

Manish Meharele | Published : Jul 19, 2022 11:21 AM IST

उज्जैन. इस समय भगवान का प्रिय श्रावण मास चल रहा है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) कहते हैं। पुराणों में कामिका एकादशी को संसार में सभी पापों को नष्ट करने वाला बताया गया है। जो मनुष्य इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करता है, उससे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सभी की पूजा हो जाती है। आगे जानिए इस बार कब किया जाएगा कामिक एकादशी व्रत व इससे जुड़ी अन्य खास बातें…

कामिका एकादशी व्रत 2022 कब? (Kamika Ekadashi 2022 Vrat)
पंचांग के अनुसार, इस बार कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई, रविवार को क्या जाएगा। एकादशी तिथि का आरंभ 23 जुलाई, शनिवार की सुबह लगभग 11.27 से होगा, जो 24 जुलाई, रविवार की दोपहर लगभग 01.45 तक रहेगी। उदयातिथि 24 जुलाई को होने से इसी दिन कामिका एकादशी का व्रत करना शास्त्र सम्मत रहेगा। 

कामिका एकादशी व्रत 2022 शुभ योग  (Kamika Ekadashi 2022 Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों के अनुसार, 24 जुलाई, रविवार का सूर्योदय वृद्धि योग में होगा, जो दोपहर 02.02 मिनट तक रहेगा। उसके बाद ध्रुव योग आरंभ हो जाएगा। इस दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र के योग से धाता और सौम्य नाम के 2 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। रात में द्विपुष्कर योग आरंभ होगा जो अगले दिन तक रहेगा। इस शुभ में व्रत का पारणा करने से दोगुना फल मिलेगा

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जानिए कामिक एकादशी का महत्व (Kamika Ekadashi 2022 significance)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को हीन योनियों से मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करता है वो संसार के सभी पापों से मुक्त हो जाता है। कामिका एकादशी की रात भगवान विष्णु के मंदिर में दीपक जलाने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं। कामिका एकादशी के व्रत का महात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।

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