29 जनवरी को शनिदेव को प्रसन्न करने का शुभ योग, इसके बाद 22 अक्टूबर को आएगा ये मौका

Published : Jan 28, 2022, 10:34 AM IST
29 जनवरी को शनिदेव को प्रसन्न करने का शुभ योग, इसके बाद 22 अक्टूबर को आएगा ये मौका

सार

29 जनवरी को माघ महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी और शनिवार यानी शनि प्रदोष (Shani Pradosh 2022) का संयोग बन रहा है। प्रदोष पर्व पर पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को भगवान शिव की पूजा की जाती है।

उज्जैन.  29 जनवरी, शनिवार को शिव पर्व होने से दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस शुभ योग में भगवान शिव और शनि की पूजा एवं व्रत करने से हर इच्छा पूरी होती है। हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। ये साल का दूसरा शनि प्रदोष है। इसके बाद अब 22 अक्टूबर और 5 नवंबर को शनि प्रदोष (Shani Pradosh 2022) का योग बनेगा।

प्रदोष व्रत और पूजा की विधि
व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाने के बाद भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत शुरू करना चाहिए। त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ये निर्जल व्रत होता है। सुबह जल्दी गंगाजल, बिल्वपत्र, अक्षत, धूप और दीप से भगवान शिव की पूजा करें। शाम में फिर स्नान करके सफेद कपड़े पहनकर इसी तरह शिवजी की पूजा करनी चाहिए। शाम को शिव पूजा के बाद पानी पी सकते हैं।

शनि प्रदोष है खास
शनिदेव के गुरू भगवान शिव हैं। इसलिए शनि संबंधी दोष दूर करने और शनिदेव की शांति के लिए शनि प्रदोष का व्रत किया जाता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिये शनि त्रयोदशी का व्रत विशेष रूप से सौभाग्यशाली माना जाता है। इस व्रत से शनि का प्रकोप, शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव कम हो जाता है। शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष संपूर्ण धन-धान्य, समस्त दुखों से छुटकारा देने वाला होता है। इस दिन दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करने पर जीवन में शनि से होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके अलावा शनि चालीसा और शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।

प्रदोष व्रत का महत्व
संध्या का वह समय जब सूर्य अस्त होता है और रात्रि का आगमन होता हो उस समय को प्रदोष काल कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिव जी साक्षात् शिवलिंग में प्रकट होते हैं और इसीलिए इस समय शिव का स्मरण करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है। प्रदोष व्रत करने से चंद्रमा के अशुभ असर और दोषों से छुटकारा मिलता है। यानी शरीर के चंद्र तत्व में सुधार होता है। चंद्रमा मन का स्वामी है इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मानसिक शांति और प्रसन्नता मिलती है। शरीर का ज्यादातर हिस्सा जल है इसलिए चंद्रमा के प्रभाव से सेहत अच्छी होती है। शनि प्रदोष पर शनि देव की पूजा भी करनी चाहिए।

 

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