Navratri 9 Day 2022: 4 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन, देवी सिद्धिदात्री करेंगी हर कामना पूरी

Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ये देवी सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं। इसलिए इनका नाम सिद्धिदात्री है। इस बार इनकी पूजा 4 अक्टूबर, मंगलवार को की जाएगी।
 

Manish Meharele | / Updated: Oct 04 2022, 05:45 AM IST

उज्जैन. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2022) के नौवें दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री (Devi siddhidatri) स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री की पूजा से आठों सिद्धियां जिनके नाम अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व है, प्राप्त होती है। देवता, असुर, गंधर्व, किन्नर और मनुष्य सभी इनकी पूजा करते हैं। आगे जानिए देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा…

ये हैं 4 अक्टूबर, मंगलवार के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 09:00 से 10:30 तक- चर
सुबह 10:30 से  दोपहर 12:00 तक- लाभ
दोपहर 12:00 से 01:30 तक- अमृत
दोपहर 03:00 से 04:30 तक- शुभ

ऐसा है देवी सिद्धिदात्री का स्वरूप 
धर्म ग्रंथों में देवी सिद्धिदात्री के स्वरूप का वर्णन है, उसके अनुसार इनका आसन कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है। ऐसी कोई सिद्धि नहीं जो देवी अपने भक्तों को प्रदान नहीं करती है, यही कारण है देवता और मनुष्यों के साथ-साथ असुर भी इनकी पूजा करते हैं।

इस विधि से करें देवी सिद्धिदात्री की पूजा (Devi siddhidatri Puja Vidhi)
- 4 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद देवी सिद्धिदात्री का चित्र या प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें।
- इसके बाद देवी के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं। देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते समय हाथ में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें। 
- देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, कुमकुम, अबीर, गुलाल चावल, हल्दी, मेहंदी और सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें। 
- माता को हलवा, पूड़ी व चने का भोग लगाएं और नीचे लिखे मंत्र का जाप करें। इसके बाद आरती करें-
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

 
मां सिद्धिदात्री की आरती (Devi siddhidatri Aarti)
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम, हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में न कोई विधि है, तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे, कभी काम उस के रहे न अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, वंदना है सवाली तू जिसकी दाता...

ये है देवी सिद्धिदात्री की कथा (Devi siddhidatri Katha)
शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा का सिद्धिदात्री स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा का यह अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है।


ये भी पढ़ें-

Surya Grahan 2022: दीवाली पूजा से कितनी देर बाद शुरू होगा सूर्य ग्रहण का सूतक? जानें 12 राशियों पर असर


Dussehra 2022: 5 अक्टूबर को दशहरे पर 6 शुभ योगों का दुर्लभ संयोग, 3 ग्रह रहेंगे एक ही राशि में

Dussehra 2022: ब्राह्मण पुत्र होकर भी रावण कैसे बना राक्षसों का राजा, जानें कौन थे रावण के माता-पिता?
 

Share this article
click me!