
उज्जैन. इस बार श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha 2022) 10 सितंबर, शनिवार से 25 सितंबर, रविवार तक रहेगा। इस दौरान सभी लोग अपने-अपने मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अलग-अलग उपाय करते हैं। जयपुर के श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, इस बार श्राद्ध पक्ष पूरे 16 दिन का रहेगा। ऐसा 12 साल बाद होगा। इसके पहले ऐसा योग साल 2011 में बना था। उस समय भी श्राद्ध पक्ष 16 दिनों के थे। डॉ. तिवारी के अनुसार श्राद्ध का तिथियां घटना शुभ माना जाता है जबकि इनका बढ़ना या पूरा होना ठीक नहीं रहता। इससे देश में अशांति का माहौल रहता है।
17 सितंबर को नहीं होगा कोई श्राद्ध
डॉ. तिवारी के अनुसार, 10 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू होगा, जो 25 सितंबर तक रहेगा। 10 सितंबर को पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध साथ में ही किया जाएगा। जबकि पंचांग भेद के कारण 16 सितंबर को सप्तमी श्राद्ध होने के बाद 18 सितंबर को अष्टमी श्राद्ध किया जाएगा। तिथि क्षय होने के कारण 17 सितंबर को कोई श्राद्ध नहीं किया जाएगा।
कुतप काल में ही श्राद्ध करना श्रेष्ठ
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी के अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दौरान कुतप काल में ही श्राद्ध संपन्न करना चाहिए। दिन का आठवां मुहूर्त कुतप काल कहलाता है। ये समय सुबह 11:36 से 12:24 तक रहता है। इसे ही कुतप काल कहते हैं। इसी समय पितृगणों के निमित्त धूप डालकर, तर्पण, दान व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। पितृ प्रसन्न होते हैं तो देवता भी अपने आप ही प्रसन्न हो जाते हैं।
ये हैं श्राद्ध पक्ष की तिथियां…
10 सितंबर, शनिवार : पूर्णिमा का श्राद्ध/ प्रतिपदा का श्राद्ध
11 सितंबर, रविवार : द्वितीया का श्राद्ध
12 सितंबर, सोमवार : तृतीया का श्राद्ध
13 सितंबर, मंगलवार : चतुर्थी का श्राद्ध
14 सितंबर, बुधवार : पंचमी का श्राद्ध
15 सितंबर, गुरुवार : षष्ठी का श्राद्ध
16 सितंबर, शुक्रवार : सप्तमी का श्राद्ध
17 सितंबर, शनिवार : सप्तमी-अष्टमी का श्राद्ध
18 सितंबर, रविवार : अष्टमी का श्राद्ध
19 सितंबर, सोमवार : नवमी श्राद्ध/ इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है।
20 सितंबर, मंगलवार : दशमी का श्राद्ध
21 सितंबर, बुधवार : एकादशी का श्राद्ध
22 सितंबर, गुरुवार : द्वादशी/सन्यासियों का श्राद्ध
23 सितंबर, शुक्रवार : त्रयोदशी का श्राद्ध
24 सितंबर, शनिवार : चतुर्दशी का श्राद्ध
25 सितंबर, रविवार : अमावस्या का श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध, महालय श्राद्ध
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