4 दिसंबर को होगा साल का अंतिम सूर्यग्रहण, जानिए कहां दिखाई देगा व अन्य खास बातें

साल 2021 का अंतिम सूर्यग्रहण (solar eclipse 2021) 4 दिसंबर, शनिवार को होगा। ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसकी कोई धार्मिक मान्यता नहीं रहेगी। इस खग्रास सूर्यग्रहण रहेगा, जिसे दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, अटलांटिक के दक्षिणी भाग और दक्षिण अफ्रीका में देखा जा सकेगा।

Contributor Asianet | Published : Nov 21, 2021 11:39 AM IST

उज्जैन. भारतीय समयानुसार ये ग्रहण का आरंभ 4 दिसंबर की सुबह 10.59 से होगा और मोक्ष 03.07 पर होगा। सूर्यग्रहण (solar eclipse 2021) का सूतक काल 12 घंटे पूर्व शुरू हो जाएगा। जहां-जहां ये ग्रहण दिखाई देगा, सिर्फ वहीं सूतक आदि नियम पालनीय रहेंगे। ज्योतिषियों के अनुासर, ये सूर्यग्रहण विक्रम संवत 2078 में मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को लग रहा है। इसलिए इसका प्रभाव वृश्चिक राशि और अनुराधा और ज्येष्ठा नक्षत्र पर सबसे अधिक रहेगा। 

क्यों होता है सूर्यग्रहण?
सूर्यग्रहण तब होता है जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चंद्रमा द्वारा आवृत्त हो जाए यानी ढंक लिया जाए। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती सूरज की परिक्रमा करती है और चंद्रमा धरती की परिक्रमा करता है। जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो वह सूर्य की रोशनी को कुछ समय के लिए ढंक लेता है। इस घटना को ही सूर्यग्रहण कहते हैं।

सूर्यग्रहण के प्रकार
खंड ग्रास का अर्थ अर्थात वह अवस्था जब ग्रहण सूर्य या चंद्रमा के कुछ अंश पर ही लगता है। अर्थात चंद्रमा सूर्य के सिर्फ कुछ हिस्से को ही ढंकता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है, जबकि संपूर्ण हिस्से को ढंकने की स्थिति खग्रास ग्रहण कहलाती है।

पूर्ण सूर्यग्रहण
चंद्रमा जब सूर्य को पूर्ण रूप से ढक लेता है तो ऐसे में चमकते सूरज की जगह एक काली तश्तरी-सी दिखाई है। इसमें सबसे खूबसूरत दिखती है 'डायमंड रिंग।' चंद्र के सूर्य को पूरी तरह से ढंकने से जरा पहले और चांद के पीछे से निकलने के फौरन बाद काली तश्तरी के पीछे जरा-सा चमकता सूरज हीरे की अंगूठी जैसा दिखाई देता है।

आंशिक सूर्यग्रहण
आंशिक ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा एक सीधी लाइन में नहीं होते और चंद्रमा सूर्य के एक हिस्से को ही ढंक पाता है।

वलयाकार सूर्यग्रहण
सूर्यग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होता है और इस दौरान पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। ऐसे में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्य ग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

 

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