19 साल बाद साल 2023 में बनेगा ये दुर्लभ संयोग, व्रत-त्योहारों में आएगा इतने दिनों का अंतर

Adhik Maas 2023: ज्योतिष व धार्मिक नजरिए से साल 2023 इस बार काफी खास रहेगा, क्योंकि इस साल एक नहीं 2 सावन मास आएंगे। जिसके चलते सावन के बाद मनाए जाने वाले व्रत-त्योहारों में लगभग 20 दिन का अंतर नजर आएगा।
 

उज्जैन. ज्योतिषियों के अनुसार, हर 3 साल में एक बार अधिक मास आता है। जिस साल अधिक मास आता है, उस साल हिंदू वर्ष 12 नहीं बल्कि 13 महीनों का होता है। (Adhik Maas 2023) साल 2023 में ऐसा ही संयोग बन रहा है। चूंकि इस बार श्रावण का अधिक मास बन रहा है, इसलिए इसे दुर्लभ संयोग कहा जाएगा। क्योंकि श्रावण का अधिक मास साल 2004 के बाद 2023 में आ रहा है। आगे जानिए अधिक मास से जुड़ी खास बातें…
 
क्यों आता है अधिक मास?
ज्योतिषियों के अनुसार, सौर मास 365 दिन का होता है और चंद्रमास 354 दिन का। ऐसी स्थिति में हर साल 11 दिन का अंतर आता है। जो तीन साल में बढ़कर एक महीने के लगभग हो जाता है। इसी को समायोजित करने के लिए हमारे विद्ववानों ने अधिक मास की व्यवस्था की। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

इस बार कब से कब तक रहेगा अधिक मास?
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2023 में अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। अधिक मास श्रावण मास की अमावस्या के अगले दिन से शुरू होकर पूर्णिमा तक रहेगा। श्रावण का अधिक मास में होने से इस महीने में मनाए जाने वाले व्रत-पर्वों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी जैसे आमतौर पर श्रावण मास में 4 सोमवार आते हैं, लेकिन इस बार इनकी संख्या 8 रहेगी। सावन में प्रत्येक मंगलवार को किया जाने वाला मंगला गौरी व्रत भी 8 बार किया जाएगा।

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5 महीनों का होगा चातुर्मास
हिंदू पंचांग के अनुसार चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु शयन करते हैं और सृष्टि संचालन का भार शिवजी संभालते हैं। ये चार महीने बहुत विशेष माने जाते हैं। चातुर्मास में श्रावण, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास आते हैं। इस बार श्रावण का अधिक मास से चातुर्मास 5 महीनों का रहेगा। इसके पहले साल 1947, 1966, 1985 और 2004 में भी श्रावण के अधिक मास का संयोग बन चुका है।

रक्षाबंधन के बाद सभी त्योहारों में आएगा अंतर
साल 2022 में रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त को मनाया गया था। ये पर्व साल 2023 में 30 अगस्त को मनाया जाएगा यानी 19 दिन बाद। ऐसा ही अंतर इसके बाद आने वाले त्योहारों जैसे जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, दशहरा और दीपावली में भी देखने को मिलेगा। इन सभी त्योहारों में भी लगभग इतने ही दिनों का अंतर आएगा।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। 

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