हथेली में कुछ रेखाओं को छोड़कर शेष सभी रेखाओं में बदलाव होते रहते हैं, रेखाओं के कुछ निशान बन जाते हैं तो कुछ निशान खत्म भी हो जाते हैं। हथेली में बनने वाले निशान शुभ और अशुभ दोनों तरह के होते हैं।
उज्जैन. शुभ निशान बनते हैं तो व्यक्ति को सफलता मिलती है, परेशानियां दूर होती हैं। यहां जानिए एक ऐसे आने वाला है, ये निशान है चतुष्कोण का।
चतुष्कोण की आकृति
चतुष्कोण चार भुजाओं वाली एक चौकोर आकृति होती है। चार रेखाओं से बनने वाली ये आकृति असमान, अलग-अलग लंबाई व चौड़ाई वाली हो सकती है। हथेली में रेखाएं और निशान बनते-बिगड़ते रहते हैं। अत: जब हथेली के शुभ स्थानों पर चतुष्कोण बनता है तो व्यक्ति को भाग्य की ओर से ज्यादा लाभ मिलने लगते हैं।
हथेली पर चतुष्कोण की उपस्थिति का फल
यदि हथेली की कोई रेखा सही स्थिति में है और उस पर चतुष्कोण है तो यह उस रेखा से प्राप्त होने वाले शुभ परिणामों को अधिक बढ़ा देता है। यदि रेखा टूटी हुई है तो यह उसके बुरे प्रभावों को कम करने वाला होता है। साथ ही, उस रेखा से होने वाले दुष्परिणामों को बदल भी सकता है।
हथेली में किसी भी रेखा के साथ या किसी भी पर्वत (शुक्र पर्वत को छोड़कर) पर चतुष्कोण बनता है तो उस रेखा या पर्वत के शुभ फल बढ़ जाते हैं। साथ ही, इस निशान से टूटी रेखाओं के दोष भी कम हो सकते हैं। हथेली में चतुष्कोण भाग्य का साथ दिलाने वाला निशान माना जाता है। हथेली में शुक्र पर्वत पर चतुष्कोण से विपरीत फल मिल सकते हैं। शुक्र पर्वत पर चतुष्कोण अच्छा नहीं माना गया है।
भाग्य रेखा पर चतुष्कोण
हथेली में भाग्य रेखा टूटी हो तो कार्यों में रुकावटें आती हैं। ऐसे में भाग्य रेखा के आस-पास ही चतुष्कोण बन जाए तो समस्याएं आती हैं, लेकिन वह सफलता भी मिल जाती है।
मंगल पर्वत पर चतुष्कोण
मंगल पर्वत हथेली में दो जगह होता है। एक तो जीवन रेखा के ठीक नीचे अंगूठे के पास वाले स्थान पर होता है। दूसरा हृदय रेखा के ठीक नीचे मस्तिष्क रेखा के पास वाले स्थान पर होता है। मंगल पर्वत की दबी हुई स्थिति साहस की कमी करती है। मंगल पर्वत पर चतुष्कोण होने से साहस की कमी होने पर भी असफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है।
शनि पर्वत पर चतुष्कोण
शनि पर्वत अशुभ स्थिति में हो तो कुछ कार्यों से स्वयं का ही अहित हो सकता है। शनि पर्वत मध्यमा उंगली के नीचे होता है। इस पर चतुष्कोण होने से बुरी संगत दूर होती है। ऐसे चतुष्कोण से व्यक्ति समाज के कल्याण के लिए कार्य करने लगता है।
जीवन रेखा पर चतुष्कोण का फल
लंबी जीवन रेखा पर चतुष्कोण हो तो ये स्थिति उम्र को बढ़ाने वाली मानी गई है। यदि जीवन रेखा टूट रही हो और उस पर चतुष्कोण बन जाए तो यह शारीरिक परेशानियों को कम कर सकता है।
हथेली पर नीले, काले या लाल बिंदु के पास चतुष्कोण
यदि हथेली पर कहीं नीले, काले या लाल बिंदु का निशान हो और यदि उसके पास कहीं चतुष्कोण बन रहा हो तो दुर्घटनाओं से शरीर की सुरक्षा की ओर इशारा करता है।
विवाह रेखा पर चतुष्कोण
हथेली में विवाह रेखा सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत पर स्थित होती है। यदि विवाह रेखा सीधी न हो और नीचे की ओर झुक रही हो या आकार में गोल हो रही हो तो यह स्थिति जीवनसाथी के स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं मानी गई है। विवाह रेखा में ये दोष हो और उस पर चतुष्कोण बन जाए तो जीवनसाथी के जीवन से जुड़ी परेशानियों में राहत प्रदान करता है।
मस्तिष्क रेखा पर चतुष्कोण
मस्तिष्क रेखा अधिक लंबी हो तो मानसिक रूप से असंतोष उत्पन्न हो सकता है। यह स्थिति निराशा भी बढ़ा सकती है। यदि इस रेखा पर चतुष्कोण बन जाए तो व्यक्ति निराशा से बाहर आ सकता है। साथ ही, मानसिक रूप से संतुष्टि भी मिलती है।
हृदय रेखा पर चतुष्कोण
हृदय रेखा पर चतुष्कोण होने से व्यक्ति में मनोबल अधिक होता है। साथ ही, हृदय रेखा की अशुभ स्थिति से हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं। अशुभ हृदय रेखा पर ये निशान हो तो रोगों से बचाव होता है।
शुक्र पर्वत पर शुभ नहीं होता है चतुष्कोण
हथेली में शुक्र पर्वत पर चतुष्कोण शुभ परिणाम नहीं देता है। शुक्र पर्वत पर चतुष्कोण के होने से किसी भी प्रकार की सजा या जुर्माना भरने की संभावनाएं बन सकती हैं।
बदलती रहती हैं हथेली की रेखाएं भी
इंसान के कर्मों के अनुसार हथेली की रेखाएं भी बनती और बिगड़ती रहती हैं। इसलिए रेखाओं का फल भी स्थाई नहीं रहता है।