
उज्जैन. महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संकटों को दूर करने के लिए यह व्रत रखती हैं। महिलाएं चौथ माता और भगवान गणपति का पूजन करेंगी और कथा सुनेंगी। घर की बुजुर्गों से आशीर्वाद लेंगी। इस चौथ को संकष्टी चौथ भी कहा गया है। इस व्रत में महिलाएं शाम को चंद्रमा उदय होने के बाद ही भोजन करती हैं। ये चतुर्थी साल में आने वाली 4 बड़ी चतुर्थी में से एक है।
2 शुभ योग होने से और भी बढ़ गया है महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि इस बार माघ महीने की संकष्टी चतुर्थी शुक्रवार को है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में चंद्रमा होने से सिद्धि योग बन रहा है। साथ ही ग्रहों की शुभ स्थिति से सौभाग्य नाम का शुभ योग भी बनेगा। लिहाजा इस व्रत का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। दरअसल, चंद्रमा शुक्रवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा जो कि शुक्र का नक्षत्र है। इस कारण संकष्टी चौथ पर शुक्रवार और शुक्र के नक्षत्र का होना सौभाग्य बढ़ाने वाला माना जाता है। इस दिन महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि के साथ-साथ अपने बच्चों की खुशहाली की कामना करतीं हैं।
इस दिन क्या करें
- तिलकुट चतुर्थी के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
- दिनभर बिना पानी के रहना चाहिए अगर ये संभव ना हो तो पानी पी कर बिना अन्न खाए व्रत करें।
- शाम को भगवान गणेश और चतुर्थी देवी की पूजा करें। रात में चंद्रमा का दर्शन कर के अर्घ्य दें। परिवार के बड़े लोगों को प्रणाम करें और व्रत खोलें।
- गरीबों को तिल के लड्डू व अन्य व्यंजनों का दान करें। संभव हो तो अन्य चीजें जैसे कंबल और घी आदि का दान भी करना चाहिए।
- चतुर्थी तिथि पर हाथी को चारा खिलाने से बहुत ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है। गाय को भी भी चारा खिलाएं। मछलियों के लिए नदी में आटे की गोलियां बनाकर डालें।
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