पूर्वजन्म में कौन थे आप? जान सकते हैं अपनी जन्म कुंडली के इन योगों से

हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, मनुष्य का केवल शरीर नष्ट होता है, आत्मा अमर है। आत्मा एक शरीर के नष्ट हो जाने पर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहते हैं।

उज्जैन. कई लोगों के मन में जिज्ञासा रहती होगी कि पूर्वजन्म में वे क्या थे? इस बात का जवाब ग्रंथों की मदद से मिल सकता है। गीताप्रेस गोरखपुर की परलोक और पुनर्जन्मांक के 133वें प्रसंग जन्म-मृत्यु और ग्रह-विचार में इस बात का पूरा वर्णन पाया जाता है।

1. कुंडली के ग्यारहवे भाव में सूर्य, पांचवे में गुरु तथा बारहवें में शुक्र इस बात का सूचक है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में धर्मात्मा प्रवृत्ति का और लोगों की मदद करने वाला हो सकता है।
2. लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तो ऐसा व्यक्ति पूर्वजन्म में सद् विवेकी वणिक यानि एक अच्छा व्यापारी रहा होगा।
3. चार या इससे अधिक ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि के हों तो हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति ने पूर्वजन्म में आत्महत्या की होगी।
4. यदि जन्म कुंडली में सूर्य छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो या तुला राशि का हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में भ्रष्ट जीवन व्यतीत करना वाला हो सकता है।
5. लग्न या सप्तम भाव में यदि शुक्र हो तो व्यक्ति पूर्वजन्म में राजा या प्रसिद्ध सेठ रहा होगा। ऐसे व्यक्ति ने जीवन के सभी सुखों को भोगा होगा।
6. लग्नस्थ गुरु इस बात का सूचक है कि जन्म लेने वाला पूर्वजन्म में वेदपाठी ब्राह्मण था। यदि जन्मकुंडली में कहीं भी उच्च का गुरु होकर लग्न को देख रहा हो तो बालक पूर्वजन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी, साधु या तपस्वी रहा होगा।
7. लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि इस बात का सूचक है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में शुद्र परिवार से संबंधित हो सकता है और हो सकता है कि उसने कई पाप भी किए होंगे।
8. जिस व्यक्ति की कुंडली में चार या इससे अधिक ग्रह उच्च राशि के या स्व राशि के हों तो पूर्व जन्म में वह व्यक्ति बहुत ही उत्तम योनि में जन्मा हो सकता है।
9. यदि लग्न या सप्तम भाव में राहु हो तो व्यक्ति की पूर्व मृत्यु स्वभाविक रूप से नहीं हुई यानि हो सकता है उसकी हत्या हुई होगी।
10. कुंडली में स्थित लग्नस्थ बुध स्पष्ट करता है कि व्यक्ति पूर्वजन्म में वणिक (व्यापारी) का पुत्र होगा और वह जीवनभर कई तरह के क्लेशों से परेशान हुआ होगा।
11. सप्तम भाव, छठे भाव या दशम भाव में मंगल की उपस्थिति यह बताती है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्म में क्रोधी स्वभाव का होगा तथा कई लोग इससे परेशान भी रहे हो होंगे।
12. गुरु शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पंचम या नवम भाव में हो तो जातक पूर्वजन्म में संन्यासी रहा होगा।
 

Latest Videos

Share this article
click me!

Latest Videos

पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?
SDM थप्पड़कांड के बाद 10 धाराओं में दर्ज हुआ केस, हवालात में ऐसे कटी नरेश मीणा की रात । Deoli-Uniara
डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में हो सकते हैं 3 NRI, एक भारतीय महिला को मिली बड़ी जिम्मेदारी
'मुझे लव लेटर दिया... वाह मेरी महबूबा' ओवैसी का भाषण सुन छूटी हंसी #Shorts