Bada Mangal 2022: ज्येष्ठ मास का बड़ा मंगल 24 मई को, इस विधि से करें हनुमानजी की पूजा और आरती

धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास में आने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल  (Bada Mangal) कहा जाता है। इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा की जाती है और मंदिरों में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं।

Manish Meharele | Published : May 23, 2022 9:25 AM IST / Updated: May 23 2022, 04:41 PM IST

उज्जैन. वैसे तो हर मंगलवार हनुमानजी का ही दिन होता है, लेकिन ज्येष्ठ मास के मंगलवार को हनुमानजी की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार ज्येष्ठ मास का दूसरा मंगलवार 24 मई को है। कुछ स्थानों पर इसे बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। विद्वानों का मानना है कि इसी दिन हनुमानजी और भगवान श्रीराम की पहली मुलाकात हुई थी। वहीं कुछ लोगों को मानना है कि हनुमानजी ने इसी दिन बूढ़े वानर का रूप लेकर भीम का घमंड तोड़ा था। आग जानिए इस दिन कैसे करें हनुमानजी की पूजा…

इस विधि से करें हनुमानजी की पूजा
- मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ स्थान पर हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र इस प्रकार स्थापित करें की आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर हो। 
- अब हनुमानजी की मूर्ति को गंगाजल से अथवा शुद्ध जल से स्नान करवाएं और पंचामृत (घी, शहद, शक्कर, दूध व दही ) से स्नान करवाएं। 
- इसके बाद फिर से एक बार साफ पानी से स्नान करवाएं। शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इसके बाद हनुमानजी को वस्त्र (पूजा का धागा) अर्पित करें। पान (बिना तंबाकू-सुपारी) चढ़ाएं।
- अंत में कर्पूर जलाकर हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजा करने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

हनुमानजी की आरती (Hanumanji Ki Aarti)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। 
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। 
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई। 
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए। 
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई। 
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। 
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे। 
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े। 
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे। 
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे। 
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई। 
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई। 
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

 

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