Chhath Puja 2022: पहली बार कर रहे हैं छठ , तो खरना से जुड़ा ये नियम जान लें

Chhath Puja kharna:खरना के दौरान व्रतधारी समेत परिवार के सदस्यों को कुछ नियम का पालन करना होता है। खरना के वक्त घर में शोर-शराबा नहीं होना चाहिए। 

Nitu Kumari | Published : Oct 29, 2022 7:06 AM IST

लाइफस्टाइल डेस्क. चार दिन तक चलने वाले छठ महापर्व (Chhath Puja 2022) का आज दूसरा दिन है। छठ व्रत का दूसरा दिन खरना (Kharna)का होता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। खरना के दिन व्रतधारी समेत घरवालों को कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। ताकि व्रत का महातम बना रहे। चलिए बताते हैं खरना के दौरान क्या-क्या होता है और किन नियमों का पालन किया जाता है।

खरना से जुड़े नियम

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खरना के दिन व्रतधारी दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं। इसके बाद शाम को नदी ,तालाब या फिर घर पर स्नान करते हैं। इसके बाद व्रतधारी चूल्हे की पूजा करके खरना का प्रसाद बनाती हैं। चावल, गुड़ और दूध का खीर बनाया जाता है। कई जगहों पर गुड़ और चावल का रसिया बनता है। इसके साथ शुद्ध आते की रोटी बनाई जाती है। इसके बाद व्रती मां का ध्यान करते हुए उन्हें केले के पत्ते पर खीर और रोटी के साथ केला चढ़ाती हैं। वहां पर दीया रखा जाता है। 

प्रसाद ग्रहण करते वक्त घर में होनी चाहिए शांति

हाथ जोड़ने के बाद व्रतधारी प्रसाद को ग्रहण करती हैं। जहां वो प्रसाद बनाती हैं वहीं, पर वो बैठकर इसका सेवन करती हैं। इस दौरान घर पूरी तरह शांत होना चाहिए। किसी की आवाज नहीं सुनाई देनी चाहिए। कहा जाता है कि अगर प्रसाद ग्रहण करते वक्त व्रतधारी के कान में आवाज चली जाती हैं तो वो खाना छोड़ देती हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतधारी 36 घंटे की निर्जला व्रत करती हैं।

व्रती से आशीर्वाद लेकर प्रसाद ग्रहण करें

छठ प्रसाद ग्रहण करने के बाद लोग व्रतधारी के कमरे में जाते हैं और उनका पैर छूते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। इस दौरान व्रती उन्हें टीका देती हैं। सुहागिन को नाक से सिंदूर लगाती हैं। इसके बाद खीर रोटी का प्रसाद दिया जाता है। इस प्रसाद का महाप्रसाद कहा जाता है। जिसके घर छठ नहीं होता है वो प्रसाद खाने व्रती के घर पहुंचते हैं।

खरना के दौरान क्या करें और क्या नहीं करें

-खरना के वक्त घर में शांति बनाए रखें।
-खरना का प्रसाद ग्रहण करने से पहले व्रती का आशीर्वाद लें।
-प्रसाद को कभी भी फेंके नहीं।
-गऊ माता को खरना का प्रसाद खिलाएं।
-प्रसाद को आसपास भी लोगों को खिलाएं।
-खरना के बाद व्रती को पूरा आराम दें।
-घर में सौहार्दय का माहौल बनाएं रखें।

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