कोरोनावायरस महामारी में बच्चे भी हो रहे डिप्रेशन के शिकार, ये 5 टिप्स हो सकते हैं कारगर

कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है। इस महामारी की वजह से लोगों में चिंता, तनाव और डिप्रेशन की समस्या पैदा हुई है। छोटे-छोटे बच्चे तक इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। 

लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है। इस महामारी की वजह से लोगों में चिंता, तनाव और डिप्रेशन की समस्या पैदा हुई है। छोटे-छोटे बच्चे तक इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। बच्चे अपनी बात कहते नहीं, लेकिन उनके हाव-भाव और व्यवहार को देख कर यह आसानी से समझा जा सकता है कि इस महामारी ने उनके मन पर गहरा असर डाला है। उनमें अलगाव के साथ डर की भावना भी पैदा हो गई है। ज्यादातर बच्चे गुमसुम नजर आने लगे हैं, वहीं कुछ बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। कुछ बच्चे सही ढंग से नींद नहीं ले पा रहे हैं तो कुछ की भूख में अचानक कमी आ गई है। 

1. लंबे समय तक घरों में बंद रहने का असर
बच्चों में तनाव और डिप्रेशन पैदा होने की वजह लंबे समय से उनका घरों में बंद रहना है। स्कूल और दोस्तों से उनका नाता टूट गया है। बच्चों के लिए दोस्त काफी मायने रखते हैं। लेकिन कोराना की वजह से इनके घर से बाहर निकलने पर रोक है। बच्चे पास-पड़ोस में भी खेलने नहीं जा रहे। घर में भी पहले की तरह उनका कोई नियमित रूटीन नहीं रहा। इस सबका नेगेटिव असर उनके मन पर पड़ना स्वाभाविक है। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों को अलग-थलग नहीं पड़ने दें। उनसे बातचीत करते रहें और उनके लिए एक रूटीन बनाएं।

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2. बड़ों की चर्चा से चिंता में पड़ जाते हैं बच्चे
घर में बड़े लोग जब कोरोना महामारी की चर्चा करते हैं और इससे जुड़ी खबरें बताते हैं तो बच्चे चिंता में पड़ जाते हैं। वे ठीक से समझ नहीं पाते कि ये कोरोना आखिर है क्या बला, जिसकी वजह से उन्हें एक तरह की कैद में रहना पड़ रहा है। उन्हें इसके बारे में कोई साफ-साफ बतलाने वाला भी नहीं है, क्योंकि बड़े लोग खुद ही इस महामारी के बारे में ठीक से नहीं जानते। ऐसी स्थिति में बच्चे अगर महामारी को लेकर कोई सवाल करते हैं, तो उन्हें नकारात्मक जवाब नहीं दें। उनसे यही कहें कि जल्दी ही सब कुछ पहले की तरह हो जाएगा।

4. और क्या तरीके अपनाएं
अगर आपके घर के बच्चे उदास या डरे हुए दिखाई पड़ते हैं, तो उनसे बातचीत करें और इसकी वजह जानने की कोशिश करें। बेहतर यह होगा कि बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। उन्हें पढ़ाई के साथ इनडोर गेम और दूसरी एक्टिविटीज में लगाएं। पेन्टिंग, म्यूजिक, डांस जैसी एक्टिविटीज में शामिल होकर बच्चे खुश रहेंगे। आजकल बच्चे मोबाइल पर गेम ज्यादा खेलते हैं। ये गेम भी ऐसी थीम पर बने होते हैं, जिसका बच्चों के मन पर अच्छा असर नहीं होता। इसलिए कोशिश करें कि वे मोबाइल से दूर ही रहें।

5. बच्चों के खाने-पीने और सोने का रखें ध्यान
कोरोना के इस संकट भरे बच्चों का ख्याल रखना सबसे जरूरी है। इस पर जरूर ध्यान दें कि बच्चे ने समय पर खाना खाया या नहीं। तनाव में रहने पर बच्चे खाने में आनाकानी करते हैं। बच्चों को समय पर खाना खिलाएं और इम्युनिटी को मजबूत करने वाली चीजें खाने में शामिल करें। उन्हें मौसमी फल भी जरूर दें। इसके अलावा, इसका भी ध्यान रखें कि बच्चे समय से सोएं और समय पर जागें। एक बच्चे के लिए कम से कम 9 घंटे की नींद जरूरी है। अगर बच्चे के व्यवहार में ज्यादा बदलाव दिखता है, वह बहुत जल्दी गुस्से में आ जाता है और उत्तेजित होकर चीखता-चिल्लाता या तोड़फोड़ करता है तो मनोचिकित्सक की सलाह जरूर लें।   

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