आपकी लड़ाई का बच्चों पर पड़ता है गलत असर, हो सकते हैं ये 5 नुकसान

हसबैंड-वाइफ के बीच लड़ाई होना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा अक्सर होता है। लेकिन जब यह लड़ाई काफी बढ़ जाती है और रोज-ब-रोज गाली-गलौच, मारपीट और हंगामा होता है, तो इसका बच्चों पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 9, 2020 1:10 PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क। हसबैंड-वाइफ के बीच लड़ाई होना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा अक्सर होता है। लेकिन जब यह लड़ाई काफी बढ़ जाती है और रोज-ब-रोज गाली-गलौच, मारपीट और हंगामा होता है, तो इसका बच्चों पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चों के मन में डर बैठ जाता है और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। पेरेंट्स के आपसी झगड़ों का बच्चों पर बहुत ही नकारात्मक असर पड़ता है। इससे उनका शारीरिक-मानसिक विकास भी रुक जाता है। पेरेंट्स् के लागातार झगड़ों की वजह से बच्चों में पर्सनैलिटी डिसऑर्डर भी पैदा हो सकता है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा नहीं करें। जानें, इससे बच्चों को क्या हो सकते हैं नुकसान।

1. डर की भावना
बच्चे बहुत ही संवेदनशील होते हैं। आसपास के माहौल का उनके मन पर गहरा असर पड़ता है। अगर माहौल शांत और बढ़िया होता है, तो वे खुश रहते हैं। लेकिन जब माहौल तनावपूर्ण होता है, तो बच्चे इसे तुरंत महसूस कर लेते हैं। अगर लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है और लोग गुस्से मे चीखने-चिल्लाने लगते हैं, तो बच्चे डर जाते हैं। इसका उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। अगर ऐसा लगातार होता हो, तो बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। 

2. आत्मविश्वास में कमी
जो बच्चे तनावपूर्ण पारिवारिक माहौल में रहते हैं, उनमें आत्मविश्वास में कमी हो जाती है। वे चिंतित और उदास रहने लगते हैं। मामूली बात पर भी वे डर जाते हैं। हर समय उनके मन में एक तरह की आशंका बनी रहती है। इससे उनके व्यक्तित्व का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता है। उनमें हीन भावना भी आ जाती है।

3. असुरक्षा की भावना
जो बच्चे लड़ाई-झगड़े के माहौल में पलते हैं, उनमें असुरक्षा की भावना भी पैदा हो जाती है। जब घर में हमेशा लड़ाई-झगड़े होते हैं, तो बच्चों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। वे खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं। इसका असर उनके भावी जीवन पर भी पड़ सकता है।

4. कटने लगते हैं परिवार से
जिन घरों में मां-बाप के बीच काफी झगड़े होते हैं, वहां बच्चे परिवार से कटने लगते हैं। जब वे कुछ बड़े हो जाते हैं, तो घर में ज्यादा समय बिताना पसंद नहीं करते। वे अलग-थलग रहने लगते हैं। फैमिली मेंबर्स से उनका ज्यादा लगाव नहीं रह जाता। ऐसे में, बच्चे गलत रास्ते पर भी जा सकते हैं। कई बार ऐसे बच्चे अक्सर अकेले समय बिताना पसंद करने लगते हैं। आगे चल कर ऐसे बच्चों को समाज में एडजस्टमेंट करने में दिक्कत हो सकती है। 

5. संवादहीनता के हो जाते हैं शिकार
बच्चों के लिए माता-पिता और परिवार के दूसरे लोगों से बातचीत करना जरूरी होता है। इससे उन्हें भावनात्मक मजबूती मिलती है और वे खुद को ताकतवर समझते हैं। उनमें एक तरह का भरोसा भी पैदा होता है। लेकिन जब घर में ज्यादा लड़ाई-झगड़े होने लगते हैं, तो बच्चे जल्दी मां-पिता या दूसरे फैमिली मेंबर्स से बात नहीं करते। वे संवादहीनता के शिकार हो जाते हैं। वे अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते। इससे आगे चल कर उनके व्यक्तित्व में असंतुलन पैदा हो सकता है।        
 

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