Bhimrao Ambedkar Death Anniversary: बाबा साहेब के ये 15 वचन जो हर युवा को करते है मोटिवेट

संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की आज (6 दिसंबर) पुण्यतिथि है। ऐसे में हम आपको बताते हैं उनके कहे 15 ऐसे अनमोल वचन जो हर किसी की जिंदगी को इंस्पायर्ड करते हैं।
 

लाइफस्टाइल डेस्क: स्वतंत्र भारत के पहले विधि और न्याय मंत्री और संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar) की 6 दिसंबर को पुण्यतिथि होती है। उन्होंने ना सिर्फ हमारे देश का संविधान बनाया, बल्कि समाज के शोषित वर्ग के लिए अतुल्य योगदान दिया। बाबासाहेब ने बचपन में खुद बहुत अपमान और तिरस्कार झेला था। जिसके बाद उन्होंने न केवल समाज में अपना स्थान बनाया, बल्कि दलित और शोषित समाज के लोगों का उत्थान भी किया। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। लेकिन बिगड़ती तबीयत के चलते 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया। उसके बाद से उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको बताते हैं उनके कहे 15 ऐसे अनमोल वचन जो आज भी समाज के हर वर्ग के लोग को प्रेरणा देते हैं...

1. “मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।”

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02. “बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।”

03. “मैं किसी समुदाय की प्रगति, महिलाओं ने जो प्रगति हासिल की है… उससे मापता हूं।”

04. “जुल्म करने वाले से जुल्म सहने वाला ज्यादा बड़ा गुनहगार है।”

05. “मनुष्य नश्वर है। उसी तरह विचार भी नश्वर है। एक विचार को प्रचार प्रसार की जरुरत होती है जैसे पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं।”

06. “जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते हैं, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेईमानी है।”

07. “बकरे का बलिदान किया जाता है लेकिन शेर का बलिदान करने की ताकत किसी में नहीं, इसलिए आप शेर बने। शेर की तरह अपने अधिकारों के लिए गरजते रहें।”

08. “हम भारतीय हैं पहले और अंत में।”

09. “जो समुदाय अपना इतिहास भूल जाते हैं, वह कभी इतिहास नहीं बना पाते हैं।”

10. “गुलाम बनकर जिओगे तो ये दुनिया कुत्ता समझकर लात मारेगी और नवाब बनकर जिओगे तो ये दुनिया… शेर समझ कर सलाम ठोकेगी।”

11. “मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं आया हूँ बल्कि अपने सभी दबे और कुचले भाइयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूं।”

12. “पति-पत्नी के बीच का संबंध सबसे घनिष्ठ दोस्तों के संबंध के सामान होना चाहिए।”

13. “जीवन लंबा होने बजाय महान होना चाहिए।”

14. “हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच वाले विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।”

15. “जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं! बल्कि गुलाम बनाये रखने का एक षड़यंत्र है।”

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