रसोई में पानी का उपयोग न सिर्फ खाना बनाने के लिए होता है, बल्कि पीने से लेकर बर्तन धोने और पोंछा लगाने समेत कई सारी चीजों में होता है। पानी के अधिक खपत और बर्बादी को वास्तु के नजर से अच्छा नहीं माना गया है। वास्तु शास्त्र में पानी की अधिक बर्बादी एवं गलत स्थान में रखने से मां लक्ष्मी नाराज होती है, और लगातार ऐसी स्थिति बनी रहे तो घर में कंगाली डेरा जमा सकती है।
ऐसी स्थिति में आप जितना भी कमाएंगे, उतना आपका खर्च बढ़ेगा और पैसे की बर्बादी भी पानी की बर्बादी की तरह बढ़ती जाएगी। वास्तु शास्त्र और हमारी परंपराओं के अनुसार किचन में पानी का सही तरीके से उपयोग करना बेहद जरूरी है। पानी से जुड़ी कुछ सामान्य गलतियां न केवल घर की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती हैं बल्कि नकारात्मक ऊर्जा का भी कारण बनती हैं।
किचन के नल से पानी टपकना अशुभ माना जाता है। यह आर्थिक हानि और बेवजह के खर्चों का संकेत देता है। सुनिश्चित करें कि नल पूरी तरह बंद हो और लीक न हो।
खाने के बाद बर्तनों में बचा हुआ पानी न छोड़े। इसे तुरंत धोकर सुखा लें। यह गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनता है।F
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किचन में पानी गिरा रहना न केवल फिसलने का खतरा बढ़ाता है, बल्कि वास्तु के अनुसार, यह आर्थिक नुकसान का कारण भी बनता है।
नल के पास जमी गंदगी और जमे हुए पानी को साफ न करना अशुभ माना जाता है। इसे रोज साफ करना चाहिए ताकि धन-समृद्धि बनी रहे।
बिना जरूरत के पानी बहाना या बर्बाद करना नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। पानी का सदुपयोग करें और इसे व्यर्थ न बहने दें।
पानी की टंकी लंबे समय तक गंदी रहना घर की समृद्धि को प्रभावित करता है। इसे नियमित रूप से साफ कराएं और स्वच्छ पानी का उपयोग करें।
किचन में पीने के पानी को हमेशा ढककर रखें। खुला पानी वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।
सिंक में गंदा पानी जमा रहना धन की हानि का कारण बनता है। इसे तुरंत साफ करें और सुनिश्चित करें कि सिंक हमेशा सूखा और साफ हो।
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फर्श या बर्तन पोंछने के लिए गंदे कपड़े का इस्तेमाल न करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। साफ और सूखे कपड़े का ही इस्तेमाल करें।
वास्तु के अनुसार, किचन में पानी का स्थान हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। दक्षिण-पश्चिम दिशा में पानी रखना धन और सुख-शांति को बाधित करता है।