
हमारी रोजमर्रा की थाली का सबसे जरूरी हिस्सा है तेल। सब्जी हो या पराठा, तड़का हो या फ्राई, सब्जी हो या अचार-बिना तेल के सभी का स्वाद अधूरा लगता है। लेकिन न्यूट्रिशनिस्ट प्रशांत देसाई के मुताबिक, ज्यादातर लोग जो ऑयल अपनी किचन में इस्तेमाल कर रहे हैं, वही धीरे-धीरे उनकी सेहत को बिगाड़ रहे हैं। असली समस्या सिर्फ तेल वाले फूड की नहीं है, बल्कि वो तेल है जिसे हम सेहतमंद समझकर रोजाना इस्तेमाल कर रहे हैं।
रिफाइंड प्रोसेस में तेल को केमिकल्स और हाई टेम्परेचर से गुजारा जाता है ताकि उसकी शेल्फ लाइफ बढ़े और वह देखने में हल्का और साफ लगे। लेकिन इस प्रोसेस में तेल के नेचुरल न्यूट्रिएंट्स खत्म हो जाते हैं और जो बचता है, ये शरीर के लिए हानिकारक होता है। लंबे समय तक रिफाइंड ऑयल खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है, लिवर पर लोड पड़ता है और हार्ट डिजीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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पाम ऑयल मार्केट में सबसे सस्ता और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला तेल है। पैक्ड फूड, बिस्किट से लेकर स्नैक्स तक में इसका भरपूर इस्तेमाल होता है। लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि यह ट्रांस फैट्स और सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है। रोजाना इस्तेमाल से यह मोटापा, ब्लड प्रेशर और शुगर को बढ़ाता है।
आजकल कई कंपनियां "ब्लेंडेड ऑयल" बेचती हैं, यानी दो या उससे ज्यादा तेलों का मिक्स। सुनने में यह हेल्दी लगता है, लेकिन असल में यह शरीर के लिए और भी नुकसानदायक हो सकता है। इसमें रिफाइनिंग और मिलावट की वजह से नेचुरल फैटी एसिड्स और विटामिन्स पूरी तरह गायब हो जाते हैं।
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अधिकतर लोग सोचते हैं कि सोयाबीन और सनफ्लावर ऑयल हल्के और हेल्दी होते हैं। लेकिन इनका रिफाइंड रूप शरीर में ओमेगा-6 फैटी एसिड का लेवल इतना बढ़ा देता है कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का बैलेंस बिगड़ जाता है। यही अन बैलेंस इंफ्लेमेशन, हार्ट प्रॉब्लम्स और डायबिटीज की जड़ है।
पहले रसोई में शुद्ध देसी घी की खुशबू से पूरा घर महक उठता था, लेकिन अब उसकी जगह बाजार में आसानी से मिलने वाला नकली घी ने ले ली है। यह असल में हाइड्रोजेनेटेड ऑयल होता है, जिसमें खतरनाक ट्रांस फैट्स पाए जाते हैं। मिलावटी घी का नियमित इस्तेमाल धमनियों में चर्बी जमाने और हार्ट अटैक के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है।
प्रशांत देसाई का मानना है कि हमें अपनी थाली में कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल, सरसों का तेल, नारियल तेल या तिल का तेल जैसे पारंपरिक तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। ये न सिर्फ स्वाद को बनाए रखते हैं, बल्कि शरीर को असली पोषण भी देते हैं।