Dussehra 2025: विजयादशमी पर जलेबी क्यों है खास? जानें गोल सर्पिल मिठाई के पीछे की रोचक कहानी

Published : Oct 02, 2025, 08:48 AM IST
Jalebi And Dusshera Connections

सार

Jalebi And Dusshera Connections: दशहरा में जलेबी खाने की परंपरा है। रस से भरी इस मिठाई को इसलिए खाया जाता है, क्योंकि हमारे श्री राम को खाना बहुत पसंद था। रावण को मारकर जब वो अयोध्या लौटे थे, तो उनके स्वागत में यह मिठाई बनाई गई थी। 

2 अक्टूबर को इस बार दशहरा मनाया जा रहा है। दशहरा यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। इस दिन देशभर में रावण दहन के साथ खुशियां मनाई जाती हैं और स्वादिष्ट व्यंजनों का भी खास महत्व होता है। हर पर्व-त्योहार की तरह दशहरे से भी कुछ खास पकवान जुड़े हुए हैं, और उनमें से एक जलेबी है। इस दिन लोग जलेबी खाना पसंद करते हैं। कई घरों से इसके बनने की खुशबू आती है। बाजार में भी लोग इसे खरीद कर खाते देखें होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा क्यों निभाई जाती है? इसके पीछे की कहानी क्या है। तो चलिए बताते हैं, जलेबी और श्रीराम का कनेक्शन।

कहा जाता है कि भगवान राम को जलेबी बेहद पसंद थी। प्राचीन शास्त्रों में इसे शष्कुली कहा गया है, जो बेसन से बनाकर घी में तली जाती थी। मान्यता है कि जब भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे तो उनके स्वागत में उन्हें प्रिय शष्कुली परोसी गई। तभी से विजयदशमी पर जलेबी खाने की परंपरा शुरू हुई।

शेफ संजीव कपूर का क्या है कहना?

प्रसिद्ध शेफ संजीव कपूर के अनुसार, दशहरा जलेबी, फाफड़ा और श्रीखंड जैसे व्यंजनों के बिना अधूरा माना जाता है। खासकर गुजरात में दशहरे पर फाफड़ा-जलेबी का कॉम्बिनेशन एक सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है।

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विजय और समृद्धि का प्रतीक

जलेबी का गोल और सर्पिल आकार जीवन चक्र और अनंतता का प्रतीक माना जाता है। साथ ही यह मिठास और समृद्धि का प्रतीक भी है, जो विजय के साथ हमारे जीवन में आती है।

सेहत का पहलू

दशहरे के समय मौसम बदलने लगता है, सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होती है। इस मौसम में तैलीय और मीठे व्यंजन शरीर को एनर्जी और गर्मी देते हैं। इसलिए जलेबी खाना न सिर्फ परंपरा है, बल्कि मौसमी बदलाव में शरीर को ताकत देने का भी एक तरीका माना जाता है।

नवरात्रि और दशहरे से जुड़ी मिठास

नवरात्रि के 9 दिनों तक भक्त साधना और संयम का पालन करते हैं। दशहरा उस तपस्या का समापन का प्रतीक है। इसलिए इस दिन मीठा उत्सव मनाया जाता है। जलेबी खाने की परंपरा आज भी लोगों को याद दिलाती है कि बुराई पर अच्छाई हमेशा भारी परड़ता है। हमें अपने जीवन में निगेटिविटी को हराकर सुख और मिठास की ओर बढ़ना चाहिए।

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