
घर को हरा-भरा और फ्रेश रखने के लिए हममें से कई लोग इनडोर और आउटडोर प्लांट खरीदते हैं। लेकिन गार्डनिंग से जुड़े कई ऐसे मिथ हैं जिन पर लोग आंख बंद करके विश्वास कर लेते हैं और यही गलतियां पौधों को कमजोर, बीमार और जल्दी मरने की वजह बनती हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका प्लांट सालों-साल ताजगी से भरा रहे, तो पहले इन 6 गार्डनिंग मिथ को समझें और सही तरीके अपनाएं।
कोई भी प्लांट बिना लाइट के नहीं जी सकता। इनडोर प्लांट लो-लाइट टॉलरेंट होते हैं लेकिन नो-लाइट नहीं। जैसे मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, जीज प्लांट इन्हें भी ब्राइट इंडायरेक्ट लाइट चाहिए। घर के सबसे डार्क कॉर्नर में लगाने की गलती न करें।
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ज्यादा पानी प्लांट का सबसे बड़ा दुश्मन है। 80% इनडोर प्लांट ओवरवॉटरिंग से मरते हैं, कम पानी से नहीं। फिंगर टेस्ट करें अगर मिट्टी ऊपर से 2 इंच तक सूखी है, तभी पानी दें। सर्दियों में पानी की मात्रा और भी कम करनी चाहिए।
सच यह है कि इन्हें भी पानी चाहिए बस कम चाहिए। गर्मियों में हफ्ते में एक बार और सर्दियों में 10–15 दिन में पानी की जरूरत होती है। यदि मिट्टी हमेशा सूखी रहेगी तो रूट डैमेज हो सकता है।
दरअसल बहुत बड़े पॉट में रूट पानी में डूबी रहती है और सड़ जाती है। हमेशा प्लांट की साइज से 1 नंबर बड़ा गमला चुनें। बड़े गमले, ज्यादा मिट्टी, ज्यादा पानी और रूट रॉट ये सभी चीजें प्लांट के हिसाब से करनी चाहिए।
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नर्सरी से नए आए प्लांट पहले से ही फर्टिलाइजर में होते हैं। ऐसे नए प्लांट को 30 दिन सेट होने दें। इसके बाद ही माइल्ड लिक्विड फर्टिलाइजर दें। जल्दी खाद देने से जड़ें जल सकती हैं।
रूट का नीचे से दिखना नॉर्मल ग्रोथ का सही संकेत है। रूट दिखने पर बस पॉट चेंज कर दें। ये बीमारी नहीं बल्कि हेल्दी रूट सिस्टम का साइन है।
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